Ayodhya Demolition Case: बचाव पक्ष के आगे नहीं टिकीं सीबीआइ की दलीलें, जान‍िए कौन थे सात अध‍िवक्‍ता

Ayodhya Demolition Case कोर्ट ने अयोध्या के ढांचा ध्वंस मामले पर अपना फैसला सुनाया तो आरोपितों के साथ ही कोर्ट में मौजूद उन वकीलों के चेहरे भी खिल उठे जो लंबे समय से सीबीआइ की दलीलों की काट करने में लगे थे।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 08:04 AM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 11:40 AM (IST)
Ayodhya Demolition Case: बचाव पक्ष के आगे नहीं टिकीं सीबीआइ की दलीलें, जान‍िए कौन थे सात अध‍िवक्‍ता
बचाव पक्ष की ओर से बुधवार को अदालत में सात वकील मौजूद थे।

लखनऊ, (राजीव बाजपेयी)। करीब 28 साल बाद बुधवार को जब सीबीआइ की विशेष अदालत ने अयोध्या के ढांचा ध्वंस मामले पर अपना फैसला सुनाया तो आरोपितों के साथ ही कोर्ट में मौजूद उन वकीलों के चेहरे भी खिल उठे, जो लंबे समय से सीबीआइ की दलीलों की काट करने में लगे थे। बचाव पक्ष की ओर से बुधवार को अदालत में सात वकील मौजूद थे। उन्हें उम्मीद थी कि फैसला उनके पक्ष में आएगा।

बचाव पक्ष के वकील आइबी सिंह ने कहा कि सीबीआइ ने जो भी दलीलें कोर्ट में दी उनका कोई आधार नहीं था। ढांचा गिराये जाने के पीछे सीबीआइ का सुनियोजित साजिश करार देने का दावा कोर्ट ने नहीं माना। कोर्ट ने इस बात से भी इन्कार किया कि फैजाबाद के तत्कालीन डीएम आरएन श्रीवास्तव और एसएसपी डीबी रॉय ने विवादित स्थल की सुरक्षा को लेकर किसी तरह की लापरवाही बरती। छह दिसंबर को कुछ अखबारों में प्रकाशित फोटो को सुबूत बनाकर सीबीआइ ने कोर्ट में पेश किया, लेकिन अदालत ने यह कहकर खारिज कर दिया कि उपलब्ध फोटो की सत्यता प्रमाणित करने के लिए आवश्यक निगेटिव भी अटैच नहीं किए गए।

बचाव पक्ष के एक और अधिवक्ता केके मिश्र ने कहा कि न्याय की जीत हुई है। लंबे समय से हम न्याय के लिए लड़ रहे थे। आज आखिरकार अदालत ने भी इस बात का माना कि वहां पर किसी तरह का कोई षड्यंत्र नहीं किया गया। सीबीआइ कोर्ट के समक्ष एक भी तथ्यात्मक सुबूत पेश नहीं कर सकी। यह फैसला पूरे देश के लोगों की भी जीत है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव ने भी कहा कि सीबीआइ ने इस पूरे मामले में गलत तरीके से गवाह और सुबूत पेश कर लगातार अदालत को गुमराह कर हमारे मुवक्किल को दोषी साबित करने की कोशिश की। अदालत ने सीबीआइ के झूठे सुबूतों पर भरोसा नहीं किया जिसके फलस्वरूप आज यह फैसला हम सबके सामने है।

अभय प्रताप, वकील, बचाव पक्ष

रोचक बात थी कि सीबीआइ ने पूरे केस में जो भी आडियो और वीडियो कैसेट अदालत के सामने पेश किए उसकी किसी तरह की प्रमाणिकता नहीं थी। बिना फॉरेंसिकरिपोर्ट के इस तरह के सुबूत की प्रमाणिकता पर ही सवाल खड़े हो गए।

प्रशांत सिंह, वकील, बचाव पक्ष

इतने साल जिरह के बाद भी सीबीआइ यह बात साबित करने में नाकाम रही कि अयोध्या में ढांचा ध्वंस मामले की जो घटना छह दिसंबर को घटी थी, उसमें आरोपितों का किसी तरह का हाथ था। जो भी सुबूत पेश किए गए थे, उनके साथ कहीं न कहीं छेड़छाड़ की गई थी। अदालत ने हम लोगों के साथ न्याय किया।

अभिषेक रंजन, वकील, बचाव पक्ष

अयोध्या में ढांचा ध्वंस के पूरे केस के दौरान अदालत के सामने कुछ अहम सवाल थे जिनका जवाब सीबीआइ को देना था, लेकिन आखिरी दिन तक वह नहीं दे सकी।

मनीष त्रिपाठी, वकील, बचाव पक्ष

सीबीआइ ने जो आडियो और वीडियो कैसेट अदालत के सामने रखे, उनमें कहीं से भी यह साबित नहीं किया जा सका कि तत्कालीन विहिप नेता अशोक सिंहल या साध्वी ऋतंभरा सहित दूसरे तमाम नेता किसी तरह वहां मौजूद कारसेवकों को भड़का रहे थे। यह फैसले की बड़ी वजह बना।

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