Shri Ram Mandir Ayodhya News: मृत्यु के बाद घर पहुंचा था कोठारी बंधुओं का पत्र

Shri Ram Mandir Ayodhya News पिता से जल्दी घर लौटने का वादा कर घर से अयोध्या के लिए निकले थे कोठारी बंधु।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Fri, 31 Jul 2020 08:23 AM (IST) Updated:Fri, 31 Jul 2020 08:23 AM (IST)
Shri Ram Mandir Ayodhya News: मृत्यु के बाद घर पहुंचा था कोठारी बंधुओं का पत्र
Shri Ram Mandir Ayodhya News: मृत्यु के बाद घर पहुंचा था कोठारी बंधुओं का पत्र

अयोध्या [रमाशरण अवस्थी]। Shri Ram Mandir Ayodhya News: जब जन्मभूमि पर राममंदिर के लिए भूमि पूजन होने जा रहा है तो ऐसे में रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी का जिक्र भी समीचीन है। मंदिर आंदोलन के लिए उन्होंने दो नवंबर वर्ष 1990 को अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी कहानी अत्यंत ही मार्मिक है। 

वह 1990 की कारसेवा थी, जो देशव्यापी मंदिर आंदोलन की मुहिम को विवादित इमारत में विराजे रामलला की दहलीज तक खींच लाई थी। तत्समय इस आंदोलन का नेतृत्व विहिप के शीर्ष नेता एवं संत कर रहे थे, जिसे कोठारी बंधुओं जैसे उत्साही और संकल्पबद्ध युवाओं का संबल मिला हुआ था। वर्ष 1990 में 30 अक्टूबर को आगे बढ़े कोठारी बंधु तमाम रोक-टोक और बंदिशों को धता बताते हुए विवादित इमारत के ढांचे पर जा चढ़े और इमारत के शिखर पर भगवा ध्वज फहराकर यह संकेत दिया कि रामभक्तों की अस्मिता पर आघात का प्रतिकार नए सिरे से अंगड़ाई ले रहा है। 30 अक्टूबर की घटना से खार खाए अर्धसैनिक बल के जवानों ने कारसेवकों को देखते ही उन पर फायरिंग शुरू कर दी। भगदड़ के बीच कोठारी बंधु लाल कोठी के निकट एक घर की ओट में चले गए। गोलियों की बौछार थमी, तो वे बाहर निकले और इसी बीच उनके सिर और छातियां गोलियों से बिंध गईं।

दोनों भाई वर्ष 1990 में 22 अक्टूबर को कोलकाता से ट्रेन से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। कारसेवकों को अयोध्या पहुंचने से रोकने संबंधी सरकार की मुहिम के चलते ट्रेन तो उत्तर प्रदेश की सीमा में पहुंचते ही छोड़ देनी पड़ी। आगे का सफर उन्होंने टैक्सी से किया और आजमगढ़ के फूलपुर कस्बा पहुंचने के बाद टैक्सी से आगे बढ़ना भी असंभव हो गया। इसके बाद दो सौ किलोमीटर की दूरी उन्होंने पैदल तय की। उनके पिता हीरालाल ने अपने दोनों बेटों को रवाना करते हुए यह हिदायत दी थी कि वे अपना हालचाल पोस्टकार्ड के जरिए लिखते रहेंगे। 

उनका पोस्टकार्ड पहुंचने से पूर्व उनकी मौत की खबर कोलकाता पहुंची। पिता हीरालाल में इतनी भी हिम्मत नहीं बची थी कि वो अपने बेटों का शव देख पाएं। रामकुमार और शरद के बड़े भाई ने सरयू के घाट पर चार नवंबर को दोनों भाइयों का अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार के एक माह बाद कोठारी परिवार के घाव नए सिरे से हरे हो गए, जब दोनों भाइयों की ओर से लिखा गया पोस्टकार्ड मिला। इसमें उन्होंने बहन पूर्णिमा कोठारी को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘तुम चिंता मत करना, तुम्हारी शादी से पहले हम घर वापस लौट आएंगे।’

चार को अयोध्या आएंगी पूर्णिमा

कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी चार अगस्त को अयोध्या पहुंचेंगी और भूमि पूजन के कार्यक्रम में शिरकत करेंगी। भूमि पूजन के लिए उन्हें ट्रस्ट की ओर से आमंत्रण मिला है। वे कहती हैं, ‘इस घड़ी का इंतजार वर्षों से था। 30 साल में ये मेरे लिए यह सबसे बड़ी खुशी की खबर है।’

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