बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ लोकमहत्व पुनर्विचार याचिका

बिजली दरों में बढ़ोतरी किए जाने के बाद अब इसका विरोध शुरू हो गया है। इसे लेकर उप्र विद्युत नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका दायर की गई।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Fri, 01 Dec 2017 07:06 PM (IST) Updated:Fri, 01 Dec 2017 10:06 PM (IST)
बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ लोकमहत्व पुनर्विचार याचिका
बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ लोकमहत्व पुनर्विचार याचिका

लखनऊ (जेएनएन)। बिजली दरों में बढ़ोतरी किए जाने के बाद अब इसका विरोध शुरू हो गया है। इसे लेकर शुक्रवार को उप्र विद्युत नियामक आयोग में लोकमहत्व विषयक पुनर्विचार याचिका दायर की गई। उपभोक्ता संगठन की ओर से दाखिल याचिका में बिजली दर बढ़ाने के फैसले को कई बिंदुओं पर असंवैधानिक ठहराया है। आयोग ने याचिका का परीक्षण कर बिंदुवार रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश निदेशक टैरिफ को दिए हैं। 

नियामक आयोग में शुक्रवार को विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 94(एफ) के तहत एक पुनर्विचार प्रत्यावेदन संबंधी लोकमहत्व विषयक याचिका दाखिल करके उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ग्रामीणों व किसानों की दरों में व्यापक बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की है। परिषद ने कई साक्ष्य रखते हुए आयोग से पूरी प्रक्रिया पर पुनर्विचार का आग्रह किया। परिषद ने कहा कि जनसुनवाई केवल वर्ष 2017-18 के लिए हुई, जबकि ग्रामीण अनमीटर्ड उपभोक्ताओं के लिए 2018-19 की भी दर निर्धारित कर दी गई। परिषद ने वणिज्यिक उपभोक्ताओं का मिनिमम गारंटी चार्ज खत्म करने की भी मांग रखी।

परिषद ने कहा कि उपभोक्ताओं की आपत्तियों के निस्तारण से पहले टैरिफ निर्धारण नहीं किया जा सकता, जबकि 13 नवंबर को हुई सुनवाई में उपभोक्ताओं की एक गंभीर शिकायत पर गठित चार सदस्यीय समिति का प्रकरण अभी लंबित है। घरेलू शहरी विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज और 4.28 फीसद के रेगुलेटरी सरचार्ज को भी समाप्त करने की मांग रखी। परिषद ने बिजली कंपनियों के कुल सकल ओएंडएम खर्च के तौर पर 6,825 करोड़ रुपये की रकम को अधिक ठहराते हुए इसमें करीब एक हजार करोड़ रुपये की कटौती कर इसका लाभ घरेलू ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को देने की मांग की है।

किसानों पर दोहरी मार

पॉवर कॉरपोरेशन के प्रस्ताव पर नियामक आयोग ने अनमीटर्ड ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में 67 से 150 फीसद, किसानों की दरों में 50 फीसद और आम घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 12 से 15 फीसद वृद्धि की घोषणा गुरुवार को थी, जिस पर राजनीतिक दलों से लेकर कई संगठनों तक ने विरोध जताया था। उपभोक्ता संगठनों का कहना था कि गांवों में घरेलू व कृषि कार्य की बिजली में बेतहाशा बढ़ोतरी से एक ही परिवार से आने वाले ग्रामीणों व किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। उपभोक्ताओं ने एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की है तो साथ ही किसानों व ग्रामीणों को साथ लेकर जल्द ही प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू करने की चेतावनी भी दी है। 

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