बड़े इमामबाड़े से निकला 72 शहीदों का ताबूत, नम आंखों से दिया अजादारों ने पुरसा Lucknow News

बड़े इमामबाड़े से निकाला गया कर्बला के 72 शहीदों का ताबूत। नम आंखों से जियारत कर अजादारों ने पेश किया आंसुओं का पुरसा।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 10 Oct 2019 06:40 PM (IST) Updated:Fri, 11 Oct 2019 07:22 AM (IST)
बड़े इमामबाड़े से निकला 72 शहीदों का ताबूत,  नम आंखों से दिया अजादारों ने पुरसा Lucknow News
बड़े इमामबाड़े से निकला 72 शहीदों का ताबूत, नम आंखों से दिया अजादारों ने पुरसा Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। बहत्तर हैं खुदा वालों, सलाम-ए-कर्बला वालों...। एक-एक करके सिलसिलेवार कर्बला के 72 शहीदों का ताबूत देख अजादारों के हाथ जियारत को उठे। नम आंखों से अजादारों ने अपने पास से गुजर रहे ताबूत मुबारक की जियारत कर शहीदों को आंसुओं का पुरसा पेश किया।

कर्बला के शहीदों की याद में अंजुमन शब्बीरिया की ओर से गुरुवार को बड़े इमामबाड़े से 72 ताबूत निकाले गए। मौलाना तकी रजा ने मजलिस को खिताब कर कर्बला के पैगाम को आम किया। मौलाना ने कहा कि कर्बला की जंग अच्छाई और बुराई के बीच थी। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम ने अपने 71 साथियों के साथ यजीद की लाखों की फौज से मुकाबला करके यह बता दिया कि तादात कम होने के बाद भी जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है। मौलाना ने इमाम की शहादत का मंजर बयां किया, तो अजादारों की आंखें नम हो उठीं। मजलिस के बाद एक-एक करके सिलसिलेवार ताबूत निकलने का सिलसिला शुरू हो गया। मौलाना कैसर जौनपुरी ने अपने खास अंदाज में मंजरकशी कर कर्बला के 72 शहीदों की सिलसिलेवार कुर्बानियों को बयां किया। इसे सुन अजादारों की सदाएं बुलंद हो उठीं। इसी के साथ अजादारों ने कर्बला के 72 शहीदों के ताबूत की जियारत की। ताबूत के साथ अजादारों को अलम, गहवारा व जुलजनाह सहित अन्य शबीह-ए-मुबारक की जियारत कराई गई। बड़े इमामबाड़े में देर रात तक जियारत का सिलसिला जारी रहा। 

दहकते अंगारों पर चल किया आग का मातम

लब पर या हुसैन की सदाएं और हाथ में हजरत अब्बास अलमदार के अलम मुबारक लेकर अजादारों ने आग पर मातम किया। नंगे पांव दहकते अंगारों पर चलकर अजादारों ने कर्बला के असीरों को पुरसा पेश किया। पक्का पुल के पास स्थित दरियावाली मस्जिद में मौलाना शाहिद रिजवी ने मजलिस को खिताब किया। मजलिस के बाद मस्जिद परिसर में अंगारों पर चलकर शहीदों का गम मनाया। मातमी अंजुमन ने देर रात तक नौहाख्वानी व सीनाजनी की। इसके बाद नज्र-ए-मौला का एहतमाम किया गया। वहीं, गोलागंज स्थित मकबरा आलिया में आग पर मातम किया गया। अजादारों ने नंगे पांव दहकते अंगारों पर चलकर पुरसा दिया। मौलाना मिर्जा अनवर हुसैन ने मजलिस पढ़ी। इसके बाद अजादारों को 18 बनी हाशिम के ताबूत की जियारत कराई गई। 

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