पुलिस और वन विभाग लापरवाह, केंद्रीय मंत्री भी नहीं रोक पाईं पक्षियों की तस्करी

विक्टोरिया स्ट्रीट पर धड़ल्ले से पक्षी बाजार चल रहा है। इनकी तस्करी का जाल नेपाल पश्चिम बंगाल समेत कई जिलों में है फैला।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 07:12 PM (IST) Updated:Mon, 17 Dec 2018 07:28 AM (IST)
पुलिस और वन विभाग लापरवाह, केंद्रीय मंत्री भी नहीं रोक पाईं पक्षियों की तस्करी
पुलिस और वन विभाग लापरवाह, केंद्रीय मंत्री भी नहीं रोक पाईं पक्षियों की तस्करी

लखनऊ, जेएनएन । दो दशक से ज्यादा पुराने नक्खास बाजार में सड़क किनारे खुलेआम बिक रहे प्रतिबंधित पक्षियों को केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भी नहीं रोक पाईं। उन्होंने यहां छापेमारी कराई थी। हालांकि, उनका प्रयास सफल नहीं हो पाया। वन विभाग और पुलिस की लापरवाही से विक्टोरिया स्ट्रीट पर धड़ल्ले से पक्षी बाजार चल रहा है, जहां आपको उल्लू ही नहीं बल्कि कबूतरों में गिरहबाज, शिराजी सहित अन्य प्रजातियां भी बाजार में बिकते मिल जाएंगे।

गठिया दूर होगी, ताकत भी मिलेगी

बाजार में खरीदारी करने जाने वाले लोगों को पक्षियों के सौदागर तरह-तरह के झांसे देते हैं। लोगों से अलग-अलग पक्षियों को मारकर खाने से विभिन्न समस्याएं दूर होने की बात कही जाती है। तस्कर प्रतिबंधित पक्षियों को खाने से गठिया दूर होने से लेकर शरीर की ताकत बढऩे तक की बात कहते हैं।

इन शहरों में फैला है जाल

प्रतिबंधित पक्षियों की तस्करी का जाल अन्य प्रदेशों ही नहीं बल्कि नेपाल तक फैला है। तस्कर पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार तक पक्षियों का सौदा करते हैं। यूपी में कानपुर, इलाहाबाद, गोरखपुर, वाराणसी, गाजियाबाद और मेरठ में यह अवैध कारोबार तेजी से फैल रहा है। हाल के दिनों में बलरामपुर, श्रावस्ती, गोंडा, बहराइच, सुलतानपुर और प्रतापगढ़ में भी पक्षियों की मांग बढ़ गई है।

ऐसे पकड़ते हैं तोते

तोते को सर्वाधिक बहेलिया पकड़ते हैं। वह जंगलों के किनारे जाल बिछा देते हैं और धान-गेहूं की बालियां और मक्के के दाने फेंक देते हैं, जिन्हें खाने के लिए तोते बाहर आते हैं और जाल में फंस जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि एक बहेलिया 200 से 250 तोते पकड़कर उन्हें तस्करों को बेच देता है। बहेलिए तस्करों से एक तोते का 100 से 150 रुपये लेते हैं।

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