लखनऊ में सिटी बसों के पहिये थमे, ऑटो के पीछे भागते रहे यात्री Lucknow News
सिटी बसों की हड़ताल ने यात्रियों के जेब पर डाला डाका। यात्रियों ने ऑटो में दस की जगह 20 रुपये दिया किराया।
लखनऊ, जेएनएन। शहर की लाइफ लाइन 140 सिटी बसों के पहिये बुधवार को भी थमे रहे। सुबह अपने ऑफिस जाने के लिए लोग बस स्टॉप पर इंतजार करते रहे। जब दूर तक सिटी बसें न दिखीं तो वह ऑटो की ओर दौड़े। ऑटो और ई- रिक्शा की डिमांड इतनी हो गई कि क्षमता से अधिक लोगों को भरा गया। इतना ही नहीं जिस दूरी का ऑटो का किराया दस रुपये था, वहां का यात्रियों से 20 रुपये वसूला गया। वहीं लंबित मांगों को लेकर सिटी बस के ड्राइवरों और कंडक्टरों ने दुबग्गा और गोमतीनगर डिपो में प्रदर्शन किया।
दरअसल, हड़ताल के चलते सिटी बसें सड़क पर नहीं उतर सकीं। सुबह स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राएं और दैनिक यात्री अपने गंतव्य तक पहुंचने में लेट हो गए। ऑटो न मिलने पर लोगों ने कैब और बाइक की बुकिंग कराई। उसमें भी सुबह नौ से 11 बजे तक उनकी उपलब्धता बहुत कम रही। साथ ही यात्रियों को पीक टाइम का अधिक किराया भी देना पड़ा। दिन में भी बस स्टॉप पर सन्नाटा पसरा रहा। शहर के 33 रूटों की 140 बसों के 20 हजार यात्रियों के बीच अफरातफरी मच गई।
दिन भर आलमबाग, चारबाग, हजरतगंज, चौक, दुबग्गा, गोमतीनगर, इंदिरानगर, मडिय़ांव, राजाजीपुरम, नक्खास, रकाबगंज सहित कई इलाकों में यात्री परेशान रहे। शाम को भी ऑफिस छूटते ही हजरतगंज, सिकंदराबाद, शक्ति भवन, आयकर भवन सहित कई जगहों पर लोग ऑटो के लिए इंतजार करते रहे। वहीं सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के एक प्रतिनिधि मंडल ने कमिश्नर मुकेश मेश्राम से मुलाकात की। हालांकि वार्ता सफल नहीं हुई। इस कारण हड़ताल खत्म नहीं हो सकी। उधर लखनऊ सिटी बस कॉरर्पाेरेशन के एमडी आरके मंडल का कहना है कि ड्राइवर और कंडक्टरों से बातचीत के प्रयास जारी हैं। गुरुवार को सिटी बसों का संचालन बहाल करने की कोशिश हो रही है।