Indo-Nepal tension: नेपाल की सरकार का रुख बदला, सदियों पुरानी दोस्ती में घोला जा रहा जहर
सीमा पर चीन की आहट से अवाम आशंकित। भारत की ओर बाजार में नहीं दिखते नेपाल के लोग। फिलहाल कोरोना ने दोनों देशों के बीच आवागमन बिल्कुल रोका।
लखीमपुर खीरी, (धर्मेश शुक्ला)। बेशक, नेपाल सीमा पर जनता के बीच सौहार्द है। रोटी-बेटी का मजबूत रिश्ता कायम है। चीन की चालबाजियां समझी जा रही हैं, लेकिन उस मौजूदा हकीकत को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जिसके चलते यहां आशंका के बादल घुमड़ रहे हैं। कभी हमारा हमसाया रहे नेपाल में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। सीमा पर रहने वाले आमजन भी महसूस कर रहे हैं कि सदियों पुरानी गाढ़ी दोस्ती में कोई न कोई बाहरी जहर घोल रहा है। कहते हैं कि भारत का रुख अब भी बड़े भाई जैसा है लेकिन, नेपाल सरकार की तरफ से मुंह मोड़ा जाने लगा है। सीमा पर चीन की आहट दिखती है। नेपाली सेना की भारतीयों की ओर तिरछी होती नजर और उनसे किया जाने वाला असामान्य व्यवहार भी मन में शंका पैदा करने लगा है।
गौरीफंटा सीमा पर दोनों देशों के नागरिकों में सौहार्द के बीच एकाएक आए इस बदलाव से हर कोई हैरान है। इसी के चलते ही चंद रोज पहले एक दंपती को अलग-अलग होना पड़ा। दरअसल, महिला नेपाल की थी तो उसे वहां की सीमा में प्रवेश दे दिया गया। पति भारतीय था और उसे बैरंग लौटा दिया। ये भी पता चला कि अभी चंद रोज पहले ही एक कोरोना संक्रमित शव को भी भारतीय सीमा में दफनाए जाने की घटना हुई। नेपाल की मौजूदा सरकार की कोई न कोई ऐसी गतिविधि सामने आ रही है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों के बीच खटास बढ़ रही है। भारतीय भूभाग पर दावा करने के बाद अब नेपाल में नागरिकता को लेकर नया कानून बन गया है। इसे लेकर भारत की ओर के लोग सशंकित हैं। इस कानून में बाहरी महिला को सात साल बाद नागरिकता देने का प्रविधान है। सीमा पर बनिगवां की मंडी में करीब सौ भारतीय दुकानें हैं, जहां लाखों का कारोबार होता था। सारी खरीदारी नेपाल के लोग करते थे लेकिन, अब कोई नहीं आ रहा। उन्हेंं पूरी तरह रोक दिया गया है। जिम्मेदार कोरोना संकट को माना जा रहा है, जबकि भारतीय व्यापारी ऐसा नहीं मानते।
मथुरा की चाय की गुमटी भी इसी गांव की बाजार में है। वह अब भी खुली रहती है। दो चार लोग बैठे भी रहते हैं मगर, मथुरा के हाथ में हर वक्त व्यस्त नहीं रहता अब। मथुरा भारी मन से कहते हैं कि भगवान दोनों देशों के बीच पहले जैसी मिठास ही भर दे। इस गुमटी पर बैठे कई गांव वालों का कहना है कि नेपाल की एपीएफ व पुलिस अब सख्ती कुछ ज्यादा ही करने लगी है। भारतीय क्षेत्र में ये नरमी आज भी दिख रही है। लोग कहते हैं कि सीमा पर दूर से तो सब पहले जैसे ही दिख रहा है, लेकिन नेपाल के अंदर कुछ तो ऐसा जरूर चल रहा है, जो रिश्तों के लिए ठीक नहीं है। हालांकि, वे साथ में यह भी जोड़ते हैं कि दोनों मुल्कों की आम जनता इन सब बातों से अपना कोई सरोकार नहीं रखती। नेपाल सीमा से सटे दर्जनों भारतीय गांव बनगवां, सेड़ाबेड़ा, कीरतपुर, सूड़ा, चंदन चौकी व भंसार कटान में आज भी भारतीयों को उम्मीद है कि वहां जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा। इसी तरह से नेपाल के फुलवारी, जोगेड़ा, डोकेबाजार, पंचकडिय़ा, परासन व धनगड़ी गांव के लोग मानते हैं कि चीन की चालबाजी ज्यादा दिन नहीं चलेगी।