Chandrayaan2: ...और आधी रात का इंतजार खत्म नहीं हुआ Lucknow News

चंद्रयान दो की लैंडिंग को लेकर इसरो से अच्छी खबर नहीं मिलने पर आम लोग निराश।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sat, 07 Sep 2019 08:35 AM (IST) Updated:Sat, 07 Sep 2019 08:35 AM (IST)
Chandrayaan2: ...और आधी रात का इंतजार खत्म नहीं हुआ Lucknow News
Chandrayaan2: ...और आधी रात का इंतजार खत्म नहीं हुआ Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। चंद्रयान दो को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की उल्टी गिनती शुरू होने से पहले शिक्षकों-विशेषज्ञों के साथ आम लोगों का उत्साह चरम पर था। अलीगंज स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में लैंडिंग देखने के विशेष इंतजाम किए गए थे। लैंडर विक्रम के संपर्क टूटने से पहले लोग शान से तिरंगा फहरा रहे थे, लेकिन इसरो मुख्यालय में छायी निराशा को देखकर सभी निराश हो गए। इसरो से अच्छी खबर का इंतजार लिए लोग देर रात अपने घरों को चले गए। हां, इस दौरान जोश गायब था और बातों में खुद को संतुष्ट करने का भाव ज्यादा था।

लैंडिंग को देखने के लिए लोगों में गजब का उत्साह था। लखनऊ यूनीवर्सिटी के भौतिकी विभाग के शिक्षक से लेकर प्रोफेसर तक जबर्दस्त उत्साही थे। चंद्रयान दो की मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल श्रीवास्तव के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय का नाम जुड़ा होने की वजह से स्टूडेंट्स के साथ-साथ प्रोफेसर तक बेहद गौरांवावित महसूस कर रहे थे। वहीं वैज्ञानिकों में भी काफी उत्सुकता थे।

लखनऊ विश्वविद्यालय की फिजिक्स विभाग की एचओडी प्रो. पूनम टंडन कहती हैं कि निश्चित रूप से यह न केवल देश के लिए बल्कि यूनीवर्सिटी के लिए बेहद गौरव के पल हैं। रितु करिधाल श्रीवास्तव उनकी स्टूडेंट रह चुकी हैं। इस कारण वह इस मिशन को लेकर वह बेहद भावुक भी थे। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स भी काफी उत्साही थे कोई यू ट्यूब पर तो कोई टीवी पर इस यादगार पल का साक्षी बनने की तैयारी कर रहा था।

सीएसआइआर-आइआइटीआर के निदेशक प्रो.आलोक धावन कहते हैं कि अद्भुद फीलिंग है। पूरी दुनिया में भारत एक नया इतिहास रचने की तैयारी में है और मुङो पूरी उम्मीद है कि मंगल मिशन व चंद्रयान एक की तरह इसमें भी सौ फीसद सफलता मिलेगी। इससे यह बात भी साफ हो गई है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने पूर्व में ग्रहों की जो दूरी लिखी है वह सौ फीसद सही है। बड़ी बात यह है कि वैज्ञानिक संस्थानों ने एकजुट होकर इस महत्वाकांक्षी मिशन को वह भी बहुत कम कीमत में कर दिखाया है। साइंस में रिस्क लेना होता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को सपोर्ट कर प्रोत्साहन दिया है। उससे हौसले बुलंद है।

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