सुनील सिंह का मुलायम को लोकदल का अध्यक्ष बनने का ऑफर

लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने कहा बेटे के कारण मुलायम को समाजवादी पार्टी टूटते देखना पड़ रहा है। यह मेरे लिए भी बेहद दुखद है। हम तो उनके साथ हर तरीके से तैयार है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Thu, 12 Jan 2017 03:04 PM (IST) Updated:Thu, 12 Jan 2017 03:29 PM (IST)
सुनील सिंह का मुलायम को लोकदल का अध्यक्ष बनने का ऑफर

लखनऊ (जेएनएन)। निर्वाचन आयोग से समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह के फ्रीज होने की स्थिति में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के पास लोकदल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का ऑफर है। उनको यह ऑफर लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने किया है। सुनील की आज दिल्ली में मुलायम सिंह यादव से भेंट भी प्रस्तावित है।

लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने कहा कि बेटे के कारण मुलायम को समाजवादी पार्टी टूटते देखना पड़ रहा है। यह मेरे लिए भी बेहद दुखद है। हम तो उनके साथ हर तरीके से तैयार है। अगर समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल फ्रीज हुई तो नेताजी हमारी पार्टी के सर्वे-सर्वा होंगे।

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सुनील सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी में एक जनवरी के बाद से विवाद काफी ज्यादा बढ़ा है। उसके बाद से अब तक मेरी मुलायम सिंह से तीन बार मुलाकात हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे। मैंने नेताजी को इस बात आशवासन दिया है कि आपके हर दुख में हम साथ खड़े हैं।

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चौधरी सुनील ने कहा कि मुलायम सिंह यादव लोकदल के पुराने नेता हैं। उनसे हमारा लगाव बहुत पुराना है। लोकदल का हर कार्यकर्ता चाहता है मुलायम सिंह लोकदल के साथ आएं।

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खेत जोतता किसान सिंबल की बाबत चौधरी सुनील सिंह ने कहा कि सपा में मामला पटरी पर न आते देख ऑफर उधर से भी था तो हमने भी आगे बढ़कर पेशकश कर दी। इसमें पहले और बाद की कोई बात नहीं है। बड़ा दुखद है कि 76 साल की उम्र में मुलायम सिंह को अपनी ही पार्टी के लिए चुनाव आयोग के दरवाजे पर जाना पड़ा है।

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सुनील सिंह ने आगे कहा कि एक जनवरी को अमर सिंह का मेरे पास फोन आया। इसके बाद उनसे कई बार बात हुई। 11 दिसंबर को भी उनसे मुलाकात हुई। उन्होंने जैसे ही नेताजी के लिए सिंबल वाली बात बताई, मैं तैयार हो गया। इस मामले में मेरी कई बार शिवपाल यादव से भी बात हुई।

समाजवादी पार्टी में टूट के बारे में सुनील सिंह ने कहा कि इतिहास गवाह है कि चचेरे भाई और रिश्तेदार कभी भी अपने बड़े घरानों का हित नहीं चाहते हैं। यही हाल प्रो. रामगोपाल यादव का है। वह बीजेपी के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं।

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