अब उत्तर प्रदेश पुलिस क्षेत्रीय भाषा में सुनेगी आपकी शिकायत, सीएम योगी के निर्देश पर अहम बदलाव

यूपी के किसी कोने से अब अगर कोई फरियादी अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करेगा तो पुलिस उसी बोली में उसे जवाब भी देगी। शिकायत दर्ज होगी और पहले की तरह पुलिस मौके पर मदद को भी पहुंचेगी।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 08:04 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 08:04 AM (IST)
अब उत्तर प्रदेश पुलिस क्षेत्रीय भाषा में सुनेगी आपकी शिकायत, सीएम योगी के निर्देश पर अहम बदलाव
अब अगर कोई फरियादी अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करेगा तो पुलिस उसी बोली में उसे जवाब भी देगी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के किसी कोने से अब अगर कोई फरियादी अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करेगा तो पुलिस उसी बोली में उसे जवाब भी देगी। शिकायत दर्ज होगी और पहले की तरह पुलिस मौके पर मदद को भी पहुंचेगी। पुलिस ने पहली बार भाषाई दायरे को तोड़कर यह अनूठा प्रयोग किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पुलिस से सहायता मांगने वालों से उनकी क्षेत्रीय भाषा में ही संवाद किए जाने की शुरुआत की गई है। संवाद को और बेहतर बनाने व लोगों की भाषाई दिक्क्त के मद्देनजर यह फैसला किया गया है।

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि 112 पर अब भोजपुरी, अवधी, ब्रज व बुंदेलखंडी बोली में भी संवाद किया जाएगा। अलग-अलग क्षेत्रीय बोलियों में उत्तर देने के लिए उसी क्षेत्र की निवासी संवाद अधिकारियों का चयन किया गया है। यह पहल 112-यूपी पर मिलने वाली सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित कराने के इरादे से की गई है।

एडीजी 112 असीम अरुण ने बताया कि क्षेत्रीय भाषाओं में लोगों से संवाद करने के लिए आपातकालीन सेवा में कार्यरत महिला संवाद अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया है। 112 में 690 संवाद अधिकारी हैं। उन्हें उनके क्षेत्र के अनुरूप संबंधित भाषा में संवाद करने के लिए चुना गया है। अब तक 19 से अधिक संवाद अधिकारियों को खास ट्रेनिंग के तहत तैनाय किया जा चुका है। जल्द इसका दायरा और बढ़ाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि पहले विदेशी भाषा में संवाद के लिए 112 में कुछ वालेंटियर रखे गए थे। अब तक संवाद अधिकारी सहायता मांगने वालों से हिंदी व अंग्रेजी भाषा में बातचीत कर उनकी शिकायत दर्ज करती थीं। अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी संवाद का सिलसिला शुरू हो गया है। एडीजी का कहना है कि क्षेत्रीय भाषाओं में मदद मांगने वाले लोगों की संख्या काफी होती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अपनी क्षेत्रीय भाषा में ही समस्या बताने में सहज महसूस करती हैं। क्षेत्रीय भाषाओं के अनुरूप संवाद अधिकारियों की अलग-अलग डेस्क भी बनाई गई हैं।

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