अब दिल्ली में यूपी का दरबार लगाएंगी प्रियंका, रायबरेली में समीक्षा के दौरान खुली संगठन की पोल

रायबरेली में समीक्षा के दौरान संगठन और शीर्ष नेताओं के गड़बड़ तालमेल की पोल खुलने के बाद पूर्वी उप्र प्रभारी प्रियंका ने अब दिल्ली में यूपी का दरबार लगाने का निर्णय लिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 13 Jun 2019 06:37 PM (IST) Updated:Thu, 13 Jun 2019 06:37 PM (IST)
अब दिल्ली में यूपी का दरबार लगाएंगी प्रियंका, रायबरेली में समीक्षा के दौरान खुली संगठन की पोल
अब दिल्ली में यूपी का दरबार लगाएंगी प्रियंका, रायबरेली में समीक्षा के दौरान खुली संगठन की पोल

लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। लोकसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीदों पर राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा भले ही खरी न उतरी हों लेकिन, अब वह कांग्रेस के कायाकल्प की उम्मीद बनकर सामने आई हैं। रायबरेली में समीक्षा के दौरान संगठन और शीर्ष नेताओं के गड़बड़ तालमेल की पोल खुलने के बाद पूर्वी उप्र प्रभारी प्रियंका ने अब दिल्ली में यूपी का दरबार लगाने का निर्णय लिया है।

सूबे में कांग्रेस की लाज बचाने वाले इकलौते लोकसभा क्षेत्र रायबरेली में प्रियंका वाड्रा अपनी मां संप्रग चेयरमैन सोनिया गांधी के साथ पहुंचीं। बुधवार को बतौर क्षेत्रीय सांसद सोनिया गांधी ने तो जिताने के लिए जनता का आभार जताया, लेकिन प्रियंका ने हार की समीक्षा के लिए मैराथन बैठक की। उन्होंने पूर्वी उप्र के 40 जिलों की बैठक बुलाई थी। लोकसभा प्रत्याशी, लोकसभा संयोजक, जिला-महानगर अध्यक्ष और पूर्व जनप्रतिनिधियों के साथ उन्होंने अलग-अलग मुलाकात कर इस करारी हार का कारण और सुधार के सुझाव मांगे।

सूत्रों के अनुसार, सबसे अधिक शिकायत यही मिली कि शीर्ष स्तर के नेताओं के साथ संगठन की संवादहीनता है। कहां कमजोरी है और कैसे सुधार होगा, यह बात तो नेतृत्व तक पहुंच ही नहीं पाती। बताया गया है कि इस शिकायत को राष्ट्रीय महासचिव ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने आश्वस्त किया है कि अब वह प्रत्येक मंगलवार और गुरुवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नई दिल्ली स्थित आवास पर पार्टी कार्यकर्ताओं से सुबह 10 से दोपहर एक बजे तक मुलाकात करेंगी।

मिशन 2022 पर प्रियंका, बड़े बदलाव के संकेत

प्रियंका वाड्रा को कांग्रेस ने सक्रियता के साथ लांच तो लोकसभा चुनाव के दौरान किया लेकिन, पार्टी की नजर 2022 के विधानसभा चुनाव पर शुरू से ही रही। उन्होंने इशारा कर दिया है कि प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक संगठन के बदलाव के बाद वह लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय में भी नियमित रूप से बैठा करेंगी। इसके अलावा संगठन के एक-एक पद पर काम करने वाले कार्यकर्ता बैठाए जाएंगे। उनकी जवाबदेही तय होगी और उनके ऊपर किसी बड़े नेता की बेवजह दबाव नहीं रहेगा।

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