सीबीएसई में कलम नहीं, जुबान चलाकर पाए अव्वल नंबर

नए दौर में युवा सफलता के नए-नए सोपान गढ़ रहे हैं। सामान्य शारीरिक बनावट वाले युवाओं के साथ ही दिव्यांग भी अब इसमें पीछे नहीं हैं। कानपुर के आर्जब जैन दोनों नेत्रों से दिव्यांग हैं।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Sat, 21 May 2016 08:21 PM (IST) Updated:Sat, 21 May 2016 08:27 PM (IST)
सीबीएसई में कलम नहीं, जुबान चलाकर पाए अव्वल नंबर

लखनऊ। नए दौर में युवा सफलता के नए-नए सोपान गढ़ रहे हैं। सामान्य शारीरिक बनावट वाले युवाओं के साथ ही दिव्यांग भी अब इसमें पीछे नहीं हैं। कानपुर के आर्जब जैन दोनों नेत्रों से दिव्यांग हैं। उन्होंने सीबीएसई की इंटर की परीक्षा में कलम के बजाए जुबान चलाकर सबको चकित कर दिया है। परीक्षा परिणाम में उन्हें उम्दा अंक हासिल हुए हैं। आर्जब पहले ऐसे दिव्यांग हैं जिन्होंने इलाहाबाद परिक्षेत्र में विशेष साफ्टवेयर का उपयोग करके सीबीएसई इंटर परीक्षा उत्तीर्ण की है।

अमूमन हर एकेडमिक परीक्षा में कॉपी-पेन का प्रयोग हाथ या फिर पैर के जरिए ही पूरा हो पाता है। इसमें कानपुर के डीपीएस कालेज आजाद नगर के छात्र आर्जब जैन ने अपने जैसे दिव्यांग साथियों को एक नई राह दिखाई है। आर्जब ने परीक्षा में जॉस साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया। इसके जरिए उसने हर सवाल का जवाब बोलकर दिया। इस साफ्टवेयर ने जो सुना वह कंप्यूटर स्क्रीन पर लिखा और फिर उसका प्रिंट निकला, वही उसकी उत्तरपुस्तिका हो गई। यह प्रक्रिया आर्जब ने सभी विषयों के प्रश्नपत्रों में दोहराई। इसका यह नतीजा रहा कि परीक्षा में उसे 95.4 फीसद अंक हासिल हुए हैं। सीबीएसई इलाहाबाद परिक्षेत्र के क्षेत्रीय अधिकारी पीयूष शर्मा ने बताया कि इस रीजन में पहली बार किसी दिव्यांग ने इस साफ्टवेयर का प्रयोग किया है। उसे मिले अंकों से उसकी मेधा भी दिखाई पड़ती है।

किस विषय में कितने नंबर

आर्जब को अंग्रेजी में 97, हिंदी में 93, इतिहास में 97, भूगोल में 95, राजनीति शास्त्र में 95 अंक समेत कुल 477 अंक मिले हैं। परीक्षार्थी ने छठवां विषय संगीत लिया था इसमें भी उसे 96 अंक हासिल हुए हैं।

आखिर क्या है जॉस

जबड़े की भाषा समझने वाला यह स्क्रीन रीडर कंप्यूटर साफ्टवेयर है। जिसमें सामने बैठकर यदि कोई कुछ बोलता है तो हूबहू पहले वह कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखता है और बाद में उसका प्रिंट निकाला जा सकता है। इसका उपयोग दोनों नेत्रों वाले दिव्यांग आसानी से कर सकते हैं। एक जुलाई 2015 को यह दुनिया का सबसे लोकप्रिय स्क्रीन रीडर साफ्टवेयर बन गया है।

कानपुर पहला तो लखनऊ का दूसरा नंबर

सीबीएसई इंटर परीक्षा 2016 के परिणाम में भले ही लखनऊ की छात्रा टॉप पर हो, लेकिन समूचे जिले के सफलता प्रतिशत में कानपुर सबसे आगे है। क्षेत्रीय कार्यालय की सूची में लखनऊ को दूसरा एवं इलाहाबाद को तीसरा स्थान मिला है। वहीं वाराणसी चौथे, आगरा पांचवें एवं गोरखपुर जिला छठे स्थान पर आया है।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की सूची में कानपुर जिला सबसे अव्वल है। यहां 59 स्कूलों के परीक्षार्थियों ने 15 केंद्रों पर परीक्षा दी थी। कुल 8339 परीक्षार्थियों में से 5247 छात्र एवं 3092 छात्राएं थी। इसमें 83.18 प्रतिशत छात्र व 90.20 फीसद छात्राएं सफल हुई हैं। जिले का ओवर ऑल सफलता प्रतिशत 85.87 है। लखनऊ जिले के 91 स्कूलों के परीक्षार्थियों ने 18 केंद्रों पर परीक्षा दी थी। कुल 12262 परीक्षार्थियों में से 7287 छात्र, 4975 छात्राएं थी। इसमें 82.86 प्रतिशत छात्र एवं 90.79 फीसद छात्राएं सफल हुई हैं। जिले का सफलता प्रतिशत 85.69 है। ऐसे ही इलाहाबाद जिले के 44 स्कूलों के परीक्षार्थियों ने 14 केंद्रों पर परीक्षा दी थी। कुल 6516 परीक्षार्थियों में से 4269 छात्र व 2247 छात्राएं थी। इसमें 79.39 फीसद छात्र, 86.52 प्रतिशत छात्राएं सफल हुई। जिले का सफलता प्रतिशत 81.97 है।

वाराणसी जिले के 67 स्कूलों के परीक्षार्थियों ने 21 केंद्रों पर परीक्षा दी थी। कुल 13768 परीक्षार्थियों में से 9248 छात्र एवं 4520 छात्राएं थी। इसमें 65.93 फीसद छात्र, 78.12 प्रतिशत छात्राएं सफल हुईं। जिले का सफलता प्रतिशत 70.07 है। आगरा जिले के 58 स्कूलों के परीक्षार्थियों ने 17 केंद्रों पर परीक्षा दी थी। कुल 9410 परीक्षार्थियों में से 6206 छात्र व 3204 छात्राएं थी। इसमें 64.41 फीसद छात्र, 80.32 फीसद छात्राएं सफल हुईं। जिले का सफलता प्रतिशत 70 है। गोरखपुर जिले के 44 स्कूलों के परीक्षार्थियों ने 11 केंद्रों पर परीक्षा दी थी। कुल 7021 परीक्षार्थियों में से 4738 छात्र व 2283 छात्राएं थी। इसमें 65.81 फीसद छात्र व 77.83 फीसद छात्राएं सफल हुईं। जिले का ओवर ऑल सफलता प्रतिशत 69.88 है।

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