ये है आरटीई का सच, स्‍कूल जाने के इंतजार में बैठे हैं बच्‍चे

सरकार ने जरूरतमंद बच्‍चों की पढ़ाई के लिए आरटीई की व्‍यवस्‍था तो कर दी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 15 Sep 2018 08:45 AM (IST) Updated:Sat, 15 Sep 2018 08:45 AM (IST)
ये है आरटीई का सच, स्‍कूल जाने के इंतजार में बैठे हैं बच्‍चे
ये है आरटीई का सच, स्‍कूल जाने के इंतजार में बैठे हैं बच्‍चे

लखनऊ, जागरण संवाददाता : शहर के गरीब बच्चों का स्कूलों में मुफ्त दाखिला नहीं हो पा रहा है। लाडले की पढ़ाई के लिए अभिभावक दर-दर भटकने को मजबूर हैं। हर रोज उन्हें 'कल' काम हो जाने का झांसा देकर लौटा दिया जाता है। शुक्रवार को पांच घंटे लोगों ने इंतजार किया। इसके बाद बीएसए से मुलाकात हुई। परिजनों ने बच्चे के दाखिले को लेकर दर्द बयां किया। अारोप है कि बीएसए ने 'सॉरी बोलकर टरका दिया।

15 किमी दूर का दे दिया स्कूल

वजीरबाग निवासी शबनम के दो बच्चों का एडमिशन होना है। इसमें आलिया का जहां लिस्ट में नाम ही नहीं आया, वहीं महविश का खुर्रम नगर को उजैर मेमोरियल स्कूल एलॉट कर दिया गया। स्कूल दूसरे वार्ड में होने की वजह से जहां दाखिला नहीं होगा, वहीं घर से 15 किमी दूर है। ऐसे में दूसरे स्कूल के आवंटन के लिए चार माह से चक्कर लगा रही हैं। शबनम के मुताबिक 11 बजे पहुंचने पर बीएसए से चार बजे मुलाकात हो सकी, मगर समस्या का समाधान नहीं हो सका।

हर बार जल्द एलॉटमेंट लेटर देने का वादा

सायना इस्लाम की बेटी सुभाना के लिए पैराडाइज विद्यालय आंवटित किया गया। यह स्कूल वर्ष पहले बंद हो चुका है। इसके बाद भारत एकेडमी स्कूल का एलॉटमेंट दिया गया, लेकिन पत्र न देने दाखिला अटक गया। सायना के मुताबिक तीन माह से हर बार जल्द पत्र देने का वादा कर लौटा दिया जाता है।

पत्र न मिलने से मांगी जा रही फीस

सायना खान की बेटे जैद सिद्दीकी व बेटी निदा के लिए आवंटित ऑक्स वल्र्ड स्कूल बंद मिला। इसके बाद भारत एकेडमी में बच्चे ट्रांसफर कर दिए गए। आरोप है कि अधिकारियों ने स्कूल से फोन पर बात कर दाखिला तो दिला दिया, मगर अभी तक पत्र न मिलने से फीस मांगी जा रही है। ऐसा ही हाल फरहीन का भी है। दोनों ने बताया कि सुबह 11 बजे कार्यालय आ गए थे। बीएसए साहब से चार बजे मुलाकात हुई। उन्हें दिक्कत बताने पर सॉरी कहकर लौटा दिया। अब सोमवार को बुलाया गया है।

भीख से जुटाया पैसा किराए पर खर्च

गोमती नगर के झलेनपुरवा निवासी राजपाल दोनों पैरों से दिव्यांग है। हाथ भी सही नही हैं। उसकी चार बहनें हैं। भीख मांगकर वह गुजर-बसर करता है। गरीबी देखकर दो बहनों को एक स्कूल मुफ्त में पढ़ा रहा है। वहीं बहन लक्ष्मी को आरटीई के तहत दाखिला दिलाने के लिए चार माह से दौड़ रहा है। वह अब तक 45 चक्कर बीएसए कार्यालय के लगा चुका है। उसका भीख मांगकर जुटाया गया पैसा किराए पर ही खर्च हो गया, मगर समस्या का समाधान नहीं हो सका है। बीएसए डॉ. अमरकांत का कहना है कि सर्वे में तमाम लोग अपात्र पाए गए हैं। शेष बचे लाभार्थियों की लिस्ट बन गई है। इस पर अकेले निर्णय नहीं ले सकता हूं। समिति फैसला करेगी। इसके बाद दाखिले कराए जाएंगे।

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