Mukhtar Ansari: मुख्तार के साथ ढह गया 'आतंक' का किला, पूर्वांचल से उठी चिंगारी से सुलग रहा था पूरा प्रदेश

Mukhtar Ansari पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि मुख्तार अतीक अहमद व बिहार के शहाबुद्दीन की तिकड़ी ने एक ऐसा सिंडीकेट खड़ा किया था जिसमें अपराधी जुड़ते गए और कई प्रदेशों में इनका आतंक बढ़ता गया। क्राइम के इस ‘ईको-सिस्टम’ को राजनीतिक दलों ने अपने फायदे के लिए खूब खाद-पानी भी दिया। मुख्तार की मौत से वह सिंडीकेट भी खत्म हुआ है जिसे पनपने में अब दशकों लगेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Swati Singh Publish:Sat, 30 Mar 2024 09:44 AM (IST) Updated:Sat, 30 Mar 2024 09:44 AM (IST)
Mukhtar Ansari: मुख्तार के साथ ढह गया 'आतंक' का किला, पूर्वांचल से उठी चिंगारी से सुलग रहा था पूरा प्रदेश
मुख्तार के साथ ढह गया 'आतंक' का किला

आलोक मिश्र, लखनऊ। माफिया मुख्तार अंसारी की जेल में बीमारी से हुई मौत को लेकर सवाल जरूर हो   सकते हैं, पर उसके अंत से अपराधियों के बड़े सिंडिकेट के खत्म होने को   लेकर कोई प्रश्न नहीं है। पूर्वांचल से अस्सी के दशक में उठी अपराध की   चिंगारी ने पूरे प्रदेश को झुलसाया। कभी दस्यु गिरोह के लिए बदनाम रहे उप्र ने माफिया का वह रूप भी देखा, जिसकी सरपरस्ती को राजनीतिक दल भी मजबूर हुए।

पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि मुख्तार, अतीक अहमद व बिहार के शहाबुद्दीन की तिकड़ी ने एक ऐसा सिंडीकेट खड़ा किया था, जिसमें अपराधी जुड़ते गए और कई प्रदेशों में इनका आतंक बढ़ता गया। क्राइम के इस ‘ईको-सिस्टम’ को राजनीतिक दलों ने अपने फायदे के लिए खूब खाद-पानी भी दिया। मुख्तार की मौत से वह सिंडीकेट भी खत्म हुआ है, जिसे पनपने में अब दशकों लगेंगे।

माफियाओं के खिलाफ सीएम योगी का अभियान

पूर्व डीजीपी प्रदेश में माफिया की कमर टूटने के पीछे अहम भूमिका अभियोजन की मानते हैं। मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर वर्ष 2017 में सूचीबद्ध माफिया के विरुद्ध अभियान के तहत कार्रवाई व प्रभारी पैरवी के उस संदेश को मानते हैं, जिसे पुलिस ने पूरी तत्परता से वास्तव में कर दिखाया। डेढ़ वर्षों में आठ मामलों में सजा सुनाए जाने से मुख्तार भीतर से पूरी तरह टूट गया था।

यूपी के इन माफियाओं का हुआ खात्मा

अतीत में देखें तो सूचीबद्ध माफिया आदित्य उर्फ रवि 12 अप्रैल, 2023 को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया, जबकि प्रयागराज में 15 अप्रैल, 2023 को पुलिस अभिरक्षा में माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की हत्या हो गई थी। सूची में शामिल अनिल दुजाना गौतमबुद्ध नगर में एसटीएफ से हुई मुठभेड़ में मारा गया था। उसके बाद सात जून, 2023 को लखनऊ कचहरी में माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या कर दी गई थी। हरदोई जेल में बंद खान मुबारक की बीमारी से मौत हुई थी। प्रदेश में बीते सात वर्षों में कई कुख्यात खामोश होते गए। प्रदेश में संगठित अपराध पर इनकी मौत का सीधा असर देखा गया।

मुख्तार के बलबूते विदेश से असलहे लाया था बेटा अब्बास

मुख्तार के विधायक पुत्र अब्बास अंसारी ने पिता के रसूख के बलबूते ही विदेश से अवैध असलहे खरीदे थे। एसटीएफ अब्बास के विरुद्ध कोर्ट में आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है। जांच में सामने आया था कि अब्बास ने अपराध की रकम से असलहे खरीदे थे। स्लोवेनिया से जो असलहे व कारतूस खरीदे थे, उनका भुगतान नकद किया गया था। ईडी व आयकर विभाग की जांच का घेरा भी रहा : मुख्तार के काले कारोबार से जुटाई गई संपत्तियों पर ईडी व आयकर विभाग की भी कड़ी नजर रही है। ईडी मुख्तार कुनबे की मऊ आर्गेनिक, विकास कंस्ट्रक्शन, आगाज प्रोजेक्ट एंड इंजीनियरिंग समेत कई अन्य फर्म व उनसे जुड़े लोगों की छानबीन कर रहा है।

पति के हत्यारे की मौत के बाद काशी विश्वनाथ पहुंची अलका राय

माफिया मुख्तार अंसारी के हाथों मारे गए पूर्व भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने बेटे पीयूष राय के साथ शुक्रवार को बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया। दर्शन पूजन के बाद उन्होंने मीडिया से बात में कहा कि आज का दिन हमारे लिए विशेष है। बाबा विश्वनाथ की कृपा से हमें और हमारे परिवार को न्याय मिला है। मैं उनसे प्रार्थना करती थी और आज न्याय मिल गया है। हम तो सीबीआई कोर्ट में भी हार गए थे।

'हमारे लिए आज होली'

अलका राय ने कहा कि कृष्णानंद राय की हत्या के मैंने कभी होली नहीं मनाई। हमारे लिए तो होली आज ही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि मुख्तार की वजह से जितने परिवार अनाथ हुए, उन सभी के लिए खुशी की बात है कि एक अपराधी का अंत हुआ है। मुख्तार की मौत को लेकर प्रदेश सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए अलका राय ने कहा कि विपक्षी पार्टियों को तुष्टिकरण की राजनीति करनी है।

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