लविवि में स्नातक के लिए 27 हजार से ज्यादा आवेदन, इन कोर्सस में रही मारामारी

बीते साल की तुलना में इस बार स्नातक में दाखिले के लिए आए कम आवेदन। जानकारों ने पठन-पाठन और शोध में आई गिरावट को बताया कारण।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Tue, 16 Apr 2019 09:40 AM (IST) Updated:Tue, 16 Apr 2019 09:40 AM (IST)
लविवि में स्नातक के लिए 27 हजार से ज्यादा आवेदन,  इन कोर्सस में रही मारामारी
लविवि में स्नातक के लिए 27 हजार से ज्यादा आवेदन, इन कोर्सस में रही मारामारी

लखनऊ, जेएनएन। उच्च शिक्षा के लिए छात्रों की पहली पसंद रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रति अब छात्रों को रुझान कम हुआ है। लविवि के विभिन्न कोर्स में दाखिले से छात्रों का मोहभंग होता दिख रहा है। यह हम नहीं बीते साल की तुलना में इस बार स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आए आवेदनों की संख्या कह रही है। 

लखनऊ विश्वविद्यालय स्नातक कक्षाओं में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया सोमवार को समाप्त हो गई। इस बार स्नातक में दाखिले के लिए कुल 27042 आवेदन आए हैं, जबकि साल 2018 में आवेदनों की संख्या 28600 के पार थी। हालांकि कोर्स वार बात करें तो कुछ कोर्स में जबरदस्त आवेदन आने से एक सीट पर दाखिले के लिए कई दावेदार कतार में हैं।

इन कोर्स में दाखिले के लिए है मारामारी

आवेदनों के आधार पर पांच वर्षीय एलएलबी कोर्स में दाखिले के लिए जबरदस्त मारामारी है। कोर्स की 120 सीटों के लिए कुल 2276 आवेदन आए हैं। इससे यह बात स्पष्ट है कि लविवि से कानून की पढ़ाई के लिए एक सीट पर करीब 18 दावेदार तैयार हैं। वहीं दूसरी ओर अब तक पसंद रहे बीकॉम कोर्स में एक सीट के लिए 11 छात्रों ने दावेदारी की है। बीकॉम की 790 सीटों के लिए 9150 से अधिक छात्रों ने आवेदन किया है। 

इसी तरह बीएससी मैथ्स 477 सीटों के लिए 5197 से अधिक, बीएससी बायो में 280 सीटों के लिए 2878 आवेदन प्राप्त हुए हैं। वहीं आट्र्स कोर्स में भी दाखिले के लिए कड़ा मुकाबला है।

बीए और बीए ऑनर्स में 6055, बीओक रिनीवेबल अनर्जी में 29, बीसीए में 977, डिप्लोमा कोर्स इन फाइन आट्र्स 18, बीवीए/बीएफए 456, शास्त्री 6, बीबीए/ बीकॉम आनर्स 1340, बीएलएड 2635

क्या कहते हैं जानकार ? 

घटती शैक्षणिक साख तो वजह नहीं.. 

जानकार प्रो. एपी तिवारी का कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय को अपनी अतीत की गरिमा और अकादमिक श्रेष्ठता का ध्यान रखते हुए विद्यार्थियों का घटते हुए रुझान के कारकों को खोजना चाहिए। मेरे अनुसार पठन पाठन एवं शोध में आई गिरावट के चलते लविवि की साख को बट्टा लगा है। छात्रों के पास उच्च शिक्षा के लिए विकल्प के तौर पर कई विश्वविद्यालय राजधानी में स्थापित हो चुके हैं। अलबत्ता जिन कोर्स में प्रोफेशनल रोजगारपरकता अधिक है, उनमें रुझान बरकरार है, लेकिन अगर पठन-पाठन की व्यवस्था में सुधार न हुआ तो आवेदकों की संख्या गिरती रहेगी। नैक में भी विवि को ग्रेडिंग न मिलना भी इसी की ओर इशारा करता है। 

क्या कहते हैं विवि प्रवक्ता  ? 

लखनऊ विश्वविद्यालय  प्रवक्ता प्रो. एनके पांडेय ने बताया कि ऐसा नहीं है। महत्वपूर्ण कोर्स में जबरदस्त आवेदन आए हैं। बीते साल की तुलना में इस बार आवेदन की संख्या में बहुत कम अंतर है। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। हालांकि इसका भी विश्वलेषण किया जाएगा। 

chat bot
आपका साथी