नरेंद्र मोहन की दूरदृष्टि से ही दैनिक जागरण सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अखबार

अभिव्यक्ति के सतरंगी सोपान से सजी संवादी के दूसरे दिन आज सबसे पहले बात चली दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक पुण्यात्मा नरेंद्र मोहन की। आज उनका जन्मदिवस था। बड़े होते बच्चों से लेकर नरेंद्र मोहन के साथ काम कर चुके सब उत्साहित थे।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Sat, 10 Oct 2015 07:50 PM (IST) Updated:Sat, 10 Oct 2015 09:44 PM (IST)
नरेंद्र मोहन की दूरदृष्टि से ही दैनिक जागरण सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अखबार

लखनऊ। अभिव्यक्ति के सतरंगी सोपान से सजी संवादी के दूसरे दिन आज सबसे पहले बात चली दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक पुण्यात्मा नरेंद्र मोहन की। आज उनका जन्मदिवस था। बड़े होते बच्चों से लेकर नरेंद्र मोहन के साथ काम कर चुके सब उत्साहित थे। किसी के पास उनके अनूठे संस्मरण थे तो कोई चंद पंक्तियों से श्रद्धांजलि देने को उतावला था। भारतेंदु नाट्य अकादमी में संवादी के मंच पर मौजूद थे नरेंद्र मोहन के साथ पत्रकारिता से लेकर राज्यसभा तक में सहयोगी रहे पूर्व सांसद राजनाथ सिंह सूर्य बोले- उन्हें 1964 में देखा था। किसी काम से कानपुर गए थे, उनके पिताजी पूर्णचंद्र गुप्त से मिलने। बातचीत चल रही थी कि इसी बीच एक सुदर्शन युवक कमरे में आया और तर्कपूर्ण ढंग से अखबार के बारे में बात करने लगा। राजनाथ सिंह सूर्य प्रभावित हुए। धीरे से बगल वाले से पूछा कि यह कौन है तो पता चला कि पूर्णचंद्र गुप्त के सुपुत्र है। फिर मौका मिला एक साथ राज्यसभा जाने का। यहां नरेंद्र मोहन जी के व्यक्तित्व के एक और पहलू से परिचय हुआ। एक तरफ व्यावसायिकता का दबाव और उसी बीच पत्रकारिता के मूल्यों को बनाए रखने का आश्चर्यजनक सामंजस्य नरेंद्र मोहन जी में नजर आया। राजनाथ कहते है- यूं तो नरेंद्र मोहन गुप्त अखबार के मालिक थे लेकिन बतौर राज्यसभा सदस्य भी उनकी सक्रियता गजब की थी। सभी राजनीतिक दलों से उनके संबंध थे और सभी लोग उनको मानते भी खूब थे। फिर भी उन्होंने कभी लेखन से समझौता नहीं किया। जब लिखते थे तो न कोई संबंध उनके आड़े आता था और न ही किसी का कोई दबाव उनके शब्द बदल पाता था। उन्होंने अपने लिए जो लक्ष्य तय किया था, उससे कभी डिगे नहीं। लेखन की उनमें ऐसी ललक थी कि राज्यसभा का सत्र खत्म होते ही वह दिल्ली में जागरण कार्यालय पहुंच जाते थे और वहीं से संपादकीय लिख कर जारी कर देते थे। पत्रकारिता, राजनीति, साहित्य, समाज और जनमानस की नब्ज समझने की सलाहियत के किस्सों के बीच राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोहन की दूरदृष्टि का भी एक किस्सा छेड़ दिया। पिछली सदी के आठवें और नवें दशक में जब देश के दस प्रमुख अखबारों में किसी हिंदी अखबार का नाम नहीं होता था, तब ऐसे ही एक दिन राजनाथ सिंह टॉप टेन अखबारों की सूची लेकर नरेंद्र मोहन के सामने बैठ गए। उनसे बोले- भाईसाहब..., इसमें अंग्रजी के अलावा मलयालम से लेकर कई अन्य भाषाओं का तो नाम है, लेकिन हिंदी का कोई नहीं है। तब, नरेंद्र मोहन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया था कि राजनाथ देखना...एक दिन हिंदी का अखबार देश ही नहीं, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अखबार होगा। बकौल राजनाथ सिंह सूर्य नरेंद्र मोहन की इसी दूरदृष्टि ने दैनिक जागरण को दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अखबार बना दिया है। यही वजह है कि तमाम व्यावसायिकता व अर्थिक प्रभाव के बावजूद जागरण में ही खबरों की धार देखने को मिलती है। दैनिक जागरण उत्तर प्रदेश के एसोसिएट एडिटर आशुतोष शुक्ल ने राजनाथ सिंह के साथ अपने अनुभव साझा किए।

दीप प्रज्ज्वलित कर किया नमन

संवादी के दूसरे दिन की शुरुआत जागरण समूह के पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन गुप्त के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इस मौके पर दैनिक जागरण उत्तर प्रदेश के एसोसिएट एडीटर आशुतोष शुक्ल, महाप्रबंधक जेके द्विवेदी, पूर्व सांसद राजनाथ सिंह और जागरण समूह में ब्रांड के चीफ जनरल मैनेजर विनोद श्रीवास्तव सहित अन्य लोग मौजूद थे। इस मौके पर विद्यार्थियों ने काव्यात्मक श्रद्धांजलि प्रस्तुत करके खूब सराहना पाई।

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