शुगर के मरीजों के लिए संजीवनी से कम नहीं आम की गुठली और जामुन, जानें-और भी फायदे

देश में शुगर मरीजों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। अब युवा और बच्चे तक शुगर के शिकार हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह खान-पान में असंतुलन और अनियमित दिनचर्या है। वहीं टाइप-1 शुगर में अग्नाशय का इंसुलिन नहीं बना पाना है।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Sun, 14 Nov 2021 09:24 AM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 07:33 AM (IST)
शुगर के मरीजों के लिए संजीवनी से कम नहीं आम की गुठली और जामुन, जानें-और भी फायदे
इस विधि ने टाइप-1 शुगर को भी दो-तीन महीने के इलाज से ही पूरी तरह नियंत्रित कर दिया।

लखनऊ, [धर्मेन्द्र मिश्र]। देश में शुगर मरीजों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। अब युवा और बच्चे तक शुगर के शिकार हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह खान-पान में असंतुलन और अनियमित दिनचर्या है। वहीं टाइप-1 शुगर में अग्नाशय का इंसुलिन नहीं बना पाना है। टाइप-1 शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन ठीक नहीं किया जा सकता। वहीं टाइप-2 शुगर एक ऐसी स्थिति है, जो खून में शर्करा (ग्लूकोज) बढ़ जाने की वजह से होती है। इसे भी नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसकी दवा ताउम्र चलती है।

मगर लोहिया संस्थान संस्थान के आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. एसके पांडेय ने आम की गुठलियों, जामुन और कालमेघ समेत अन्य आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से टाइप-2 शुगर को पस्त करके मरीजों में उम्मीद की नई किरण जगा दी है। डा. पांडेय के अनुसार शुगर के इलाज में वह आम व जामुन की गुठलियों, कालमेघ, पुनर्नवा, गोखुरू, अश्वगंधा, अर्जुन की छाल, गुड़मार इत्यादि जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते हैं। अभी तक इन दवाओं के इस्तेमाल से वह टाइप 100 से ज्यादा टाइप-2 रोगियों को सामान्य कर चुके हैं। उनके उपचार से इंसुलिन ले मरीजों को इससे हमेशा के लिए छुटकारा मिल गया। अंग्रेजी दवाएं भी हमेशा के लिए बंद हो गईं। वहीं टाइप-1 शुगर को भी दो-तीन महीने के इलाज से ही पूरी तरह नियंत्रित कर दिया।

इन शुगर रोगियों की इंसुलिन हुई बंद: चिनहट निवासी 16 वर्षीय प्रवीण कुमार शर्मा को टाइप 1 शुगर थी। बिना इंसुलिन की डोज लिए इन्हें आराम नहीं मिलता था। इन्होंने लोहिया संस्थान की ओपीडी में डा. पांडेय को दिखाया। कुछ ही माह के इलाज में इनकी इंसुलिन अब पूरी तरह बंद हो गई। वहीं जानकीपुरम इंदिरानगर निवासी 63 वर्षीय अखंड प्रताप ङ्क्षसह को करीब 10 वर्ष से टाइप टू शुगर थी। तीन माह के इलाज में इंसुलिन और अंग्रेजी दवा भी बंद हो गई। इसी तरह से अन्य कई दर्जन शुगर रोगियों को भी आराम पहुंचा।

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