रामजन्मभूमि ट्रस्ट : दूर हुई संतों की नाराजगी, गृहमंत्री अमित शाह से वार्ता के बाद थमे असहमति के सुर

रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास का नाम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल न होने से संतों में असहमति के स्वर मुखर होने लगे थे।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 06 Feb 2020 07:07 PM (IST) Updated:Fri, 07 Feb 2020 02:22 PM (IST)
रामजन्मभूमि ट्रस्ट : दूर हुई संतों की नाराजगी, गृहमंत्री अमित शाह से वार्ता के बाद थमे असहमति के सुर
रामजन्मभूमि ट्रस्ट : दूर हुई संतों की नाराजगी, गृहमंत्री अमित शाह से वार्ता के बाद थमे असहमति के सुर

अयोध्या, (रघुवरशरण)। राममंदिर निर्माण के लिए नवगठित रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर सूर्योदय के साथ उभरे विवाद के स्वर सूर्यास्त के साथ थम गए। पहले केंद्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय नेताओं ने मोर्चा संभाला। फिर महंत कमलनयनदास की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से फोन पर हुई सीधी वार्ता के बाद महंत नृत्य गोपालदास समेत सभी संतों की नाराजगी दूर हो गई। 

बुधवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल लोगों का नाम स्पष्ट होने के साथ ही यहां के संतों में असहमति के स्वर मुखर होने लगे थे। गुरुवार को सिलसिला और तेज हुआ। इसके केंद्र में मंदिर आंदोलन के शीर्ष संवाहक एवं रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास और उनकी पीठ मणिरामदास जी की छावनी रही। नृत्यगोपालदास ने अपना असंतोष जाहिर करते कहा था कि अयोध्या के संतों के साथ अन्याय हुआ।

दिन चढऩे के साथ तमाम संत-महंत छावनी में एकत्र होने लगे। पूर्वाह्न 11 बजे तक यहां पहुंचने वालों में दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, आचार्य पीठ तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी, अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास, पत्थर मंदिर के महंत मनीषदास शामिल हो गए। इन सभी को ट्र्स्ट के स्वरूप पर एतराज था। विरोध जताने वालों को महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास का भी समर्थन हासिल हुआ। विरोध का मुख्य कारण नवगठित ट्रस्ट में मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों के साथ भगवान राम को इष्ट मानने वाले अयोध्या की रामानंदीय परंपरा के संतों की उपेक्षा थी। 

पहले दरवाजे से लौटाए नेता

उधर, विरोध की आहट से सत्ताधारी दल के स्थानीय प्रतिनिधियों से लेकर शीर्ष पर नेतृत्व सक्रिय हुआ। डैमेज कंट्रोल के लिए कुछ ही देर में महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, विधायक वेदप्रकाश गुप्त एवं महानगर भाजपाध्यक्ष अभिषेक मिश्र छावनी की दहलीज तक पहुंचे। महंत नृत्यगोपालदास के शिष्य आनंद शास्त्री ने सत्ताधारी पार्टी पर मंदिर आंदोलन के नायकों और रामानंदीय परंपरा के संतों की उपेक्षा का आरोप लगाया। इन नेताओं को दरवाजे से ही वापस कर दिया। 

दिनभर गहमागहमी, ऐसे बनी बात 

आखिर में सत्ताधारी दल के नेताओं ने रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास का सहारा लिया। करीब घंटे भर बाद राजकुमारदास की अगुवाई में दूत पुन: छावनी पहुंचे। इस बार उन्हें न केवल छावनी में प्रवेश मिला बल्कि महंत कमलनयनदास आंदोलित संतों सहित उनसे वार्ता को राजी हुए। वार्ता में डीएम अनुज कुमार झा एवं एसएसपी आशीष तिवारी भी शामिल हुए। इसी बीच कमलनयनदास की वार्ता केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से कराई गई। बातचीत से कमलनयनदास तो संतुष्ट हो गए पर समाधान तक पहुंचने के लिए नृत्यगोपालदास की सहमति आवश्यक थी, जो उस समय नित्य की भांति एकांत में थे। दोपहर साढ़े तीन बजे एक बार फिर वार्ता शुरू हुई और सामूहिक राय के बाद शाम करीब 4:25 बजे वार्ताकार महंत नृत्यगोपालदास के सामने पहुंचे।

उनके 'ठीक है' कहते ही सब ठीक हो गया 

महंत नृत्यगोपालदास जैसे दिग्गज के सामने सरकार का पक्ष रखना चुनौतीपूर्ण था। इसके लिए महानगर भाजपाध्यक्ष अभिषेक मिश्र आगे आए। उन्होंने बताया कि विधिक कारणों से उनका नाम ट्रस्ट में नहीं शामिल किया जा सका है, पर निकट भविष्य में उनके मान-सम्मान से न्याय सुनिश्चित है। महापौर रिषिकेश उपाध्याय ने दूरभाष पर न्यास अध्यक्ष की वार्ता विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय से कराई। अल्पभाषी न्यास अध्यक्ष ने सिर्फ इतना कहा- 'ठीक है।Ó इन दो अक्षरों को सुनने के बाद वार्ताकारों ने राहत की सांस ली।

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