महाशिवरात्रि 2020 : मनकामेश्वर मन्दिर में 11 नदियों के जल से किया जाएगा जलाभिषेक, ढाई बजे खुलेंगे कपाट

महाशिवरात्रि में बुधवार रात दो बजे से शुरू होगी पूजा अर्चना श्रद्धालुओं के लिए ढाई बजे खुलेंगे मनकामेश्वर मंदिर के कपाट।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 20 Feb 2020 12:28 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 08:23 AM (IST)
महाशिवरात्रि 2020 : मनकामेश्वर मन्दिर में 11 नदियों के जल से किया जाएगा जलाभिषेक, ढाई बजे खुलेंगे कपाट
महाशिवरात्रि 2020 : मनकामेश्वर मन्दिर में 11 नदियों के जल से किया जाएगा जलाभिषेक, ढाई बजे खुलेंगे कपाट

लखनऊ, जेएनएन। महाशिवरात्रि पर्व 21 फरवरी को धूमधाम से मनाया जाएगा। मंदिरों में इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, खासतौर पर मनकामेश्वर मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है। बुधवार रात दो बजे देश एवं विदेश की नदियों एवं दिव्य जल स्रोतों से लाए गए 11 पवित्र एवं दिव्य जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाएगा। रात ढाई बजे मनकामेश्वर मंदिर के कपाट खुल जाएंगे। 

महाशिवरात्रि पर मनकामेश्वर मंदिर में भोलेनाथ का जलाभिषेक 11 नदियों के जल से किया जाएगा। इसमें गंगोत्री, यमनोत्री, अलखनंदा, प्रयागराज, अमरनाथ, हर की पौड़ी, कामाख्या देवी शक्तिपीठ, कल्याणी, बदरीनाथ, कैलाश मानसरोवर और गोमती नदी के जल प्रमुख हैं। मनकामेश्वर महादेव आदि मां गोमती के तट पर स्थित है, इसलिए 51 कलश जल गोमती का भी होगा। इसके बाद बेसन, शहद, दही से भगवान का पूजन और स्नान होगा। 

आरती के बाद खुलेंगे कपाट 

सुबह ढाई बजे भस्म आरती, तीन बजे मुख्य आरती के बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे। संध्याकालीन आरती रात आठ बजे होगी। मनकामेश्वर मठ-मंदिर की महंत देव्यागिरि ने बताया कि इस बार 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। शनि स्वयं की राशि मकर और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। इससे पहले 1903 में इन ग्रहों का ऐसा संयोग बना था। वहीं, रिंगरोड चौराहे स्थित शिव मंदिर से गुरुवार को शिवबरात निकाली जाएगी। इससे पहले बुधवार को यहां की महिलाओं ने कलश यात्र निकाल गोमती से जलाभिषेक के लिए जल भरा।

आज सजेगी बाबा अमरनाथ की झांकी

ब्रह्म कुमारीज की ओर से टंकी पार्क विवेक खंड गोमती नगर में तीन दिवसीय बाबा अमरनाथ की झांकी सजेगी। इसका उद्घाटन 20 फरवरी को शाम पांज बजे नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन करेंगे। शिवरात्रि पर 21 फरवरी को ब्रrाकुमारीज के गोमती नगर सेंटर से शोभायात्र निकलेगी, जिसका समापन झांकी स्थल पर होगा। प्रातः ढाई बजे भस्मआरती व तीन बजे मुख्य आरती के बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। संध्याकालीन आरती सायं 8  बजे मंदिर बजे होगी।

महाशिवरात्रि पर शुभ संयोग

इस बार महाशिवरात्रि पर कई तरह के शुभ संयोग बन रहा है। इस शिव रात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। महाशिवरात्रि पर शनि स्वयं की राशि मकर और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। इससे पहले 1903 में इन ग्रहों का ऐसा संयोग बना था। इसके अलावा महाशिव रात्रि पर शनि और चंद्रमा के संयोग से शुभ योग बन रहा है। इस संयोग में शिव आराधना का विशेष फल मिलता है। चंद्रमा मन का और शनि ऊर्जा का कारक है। महाशिवरात्रि पर सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। इस योग में शिव-पार्वती का पूजन श्रेष्ठ माना गया है।

धूमधाम से निकली बारात 

बम-बम भोले की गूंज मानो धरा से अंबर तक को एकीकार करती रही। ढोल, नगाड़े, शंख आदि की ध्वनियों में पग-पग पर शिव का गुणगान चलता रहा। भस्म भभूत से सज्जित भूतनाथ के संग अनुपम शृंगार करके बैठीं मां पार्वती की सलोनी छवि निहारते ही बनीं। बारंबार इस अलौकिक नजारे को निहार निहाल होते शिवभक्त महादेव की मस्ती में ऐसे डूबे कि सब भूल गए। शिव-गौरी के भजन में मगन होकर सब जमकर नाचे। अबीर-गुलाल यूं उड़े कि लगा जैसे होली है। हर्षातिरेक ऐसा कि गृहस्थ, साधू, औघड़, भूत आदि गणों सहित देव सबके चेहरों पर बस आनंद नजर आया। ऊंच-नीच से परे इस अजब बरात में विविधता में एकता के रंग से रंगे गजब के बराती दिखे। लगा कि जैसे शिव बरात में तीनों लोक उमड़ आया है। 

इस तरह से पूरे धूमधाम के साथ डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मंदिर से बुधवार को भव्य यह शिव बरात निकली तो लोग देखते ही रह गए। ढोल, ताशा, नागफनी, डमरू, शंख की ध्वनि और हर-हर महादेव के जयकारों के साथ, महादेव के गण, साधू, औघड़ आदि के बीच बग्घियों पर सवार देवगण, भगवान विष्णु, राधा कृष्ण, हनुमान जी, ब्रह्मा-सरस्वती मनकामेश्वर की बारात लेकर चले। 

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