अपनी पहचान छुपाने के लिए सहेली ने किया ऐसा काम

आठ साल पहले हुई निधि की हत्या में उसकी दोस्‍त और सहयोगी को उम्रकैद। घर की इकलौती संतान थी निधि।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 21 Dec 2018 08:58 PM (IST) Updated:Sat, 22 Dec 2018 08:43 AM (IST)
अपनी पहचान छुपाने के लिए सहेली ने किया ऐसा काम
अपनी पहचान छुपाने के लिए सहेली ने किया ऐसा काम

लखनऊ, जेएनएन। 24 दिसंबर 2010 की रात जिस बेटी को गला दबाकर मारा गया और दूसरी लड़की के कपड़े पहनाकर जला दिया गया उस मामले में आठ साल बाद न्याय मिला। हत्या के मामले में अदालत ने उसकी सहेली और उसके सहयोगी को दोषी मानते हुये उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत के इस आदेश का इंतजार उस बेटी के पिता को भी था लेकिन वह आज दुनिया में नहीं हैं। मां मायके में जाकर रहने लगी।

गोसाईगंज थाना क्षेत्र के सराय करोरा में 24 दिसंबर 2010 को क्षेत्र के ही पंचसरा गांव निवासी रामपाल की बेटी निधि अपनी सहेली सीता के घर कोचिंग पढऩे गई थी। वहां निधि की फिल्मी अंदाज में हत्या कर दी गई। निधि को नशीली गोली खिलाने के बाद गला दबाकर मारा गया और फि र सहेली के कपड़े पहना कर उसे जला दिया गया। ऐसा कर सहेली अपने को मृत साबित करना चाहती थी। इस घटना को अंजाम दिया सहेली सीता ने। इसके बाद सीता लापता हो गई। पास के गांव से दावत खाकर लौटे सीता के पिता ने देखा तो जाना कि उसकी बेटी जल गई है। उन्होने पुलिस को बेटी के जलने की सूचना दी तो पुलिस ने सूचना दर्ज कर शव का परीक्षण कराया।

उधर, निधि के पिता रामपाल ने बेटी निधि के लापता होने की सूचना 26 दिसंबर को दर्ज कराई। पुलिस घटना में उलझी थी कि 11 जनवरी 2011 को सीता पुलिस को जिंदा मिल गई। सीता ने निधि के जूते पहन रखे थे। सीता से पूछताछ हुई तो पता चला कि जली लड़की निधि थी।

बुझ गई थी सहारे की लौ

निधि अपने माता पिता की इकलौती संतान थी। निधि की हत्या ने दंपती को तोड़ कर रख दिया। छोटे से मकान में रहने वाले रामपाल बेटी की मौत से बिल्कुल टूट गये क्योंकि वही उनका सहारा थी। बेटी के कातिलों को सजा दिलाने के लिये पिता भगवान पर ही निर्भर रहे। कहते थे भगवान फैसला करेंगे। यह कहते-कहते रामपाल की सांसें रुक गईं। मां मायके में जाकर रहने लगी। गांव के लोग निधि की मौत की गुनहगार सीता और सहयोगी राम खेलावन को गुरुवार को सुनाये गये उम्रकैद के फैसले को उचित ठहराते हुए कहते हैं कि काश निधि के पिता जिंदा होते और अपनी बेटी को मिले फैसले को सुन पाते।

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