Law Against Love Jihad in UP: धर्म परिवर्तन के लिए 60 दिन पहले करनी होगी घोषणा, जानिए क्या है प्रावधान
Law Against Love Jihad in UP शनिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिलने के साथ ही प्रदेश में उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू हो गया है। अध्यादेश को छह माह के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में मंजूरी दिलानी होगी।
लखनऊ, जेएनएन। सूबे में अब छल-कपट से, कोई प्रलोभन देकर या जबरन कराए गए धर्मांतरण के लिए कानून लागू हो गया है। इसके तहत धर्म बदलने के लिए कम से कम 60 दिन यानी दो महीने पहले जिलाधिकारी या संबंधित अपर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष तय प्रारूप में आवेदन करना अनिवार्य होगा। आवेदन पत्र में यह घोषणा करनी होगी कि संबंधित व्यक्ति खुद से, अपनी स्वतंत्र सहमति से तथा बिना किसी दबाव, बल या प्रलोभन के धर्म परिवर्तन करना चाहता है। घोषणा करने की तारीख से 21 दिनों के भीतर संबंधित व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत होकर अपनी पहचान स्थापित करनी होगी और घोषणा की विषयवस्तु की पुष्टि करनी होगी। जिलाधिकारी धर्म परिवर्तन के वास्तविक आशय, प्रयोजन व कारण की पुलिस के जरिये जांच कराने के बाद अनुमति प्रदान करेंगे।
शनिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिलने के साथ ही प्रदेश में उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू हो गया है। अध्यादेश लागू किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। कैबिनेट ने बीती 24 नवंबर को अध्यादेश को मंजूरी दी थी और उसे अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा गया था। अध्यादेश को छह माह के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में मंजूरी दिलानी होगी। अध्यादेश के तहत जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में अब जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध होगा। विवाह के जरिये एक से दूसरे धर्म में परिवर्तन भी कठोर अपराध की श्रेणी में होगा। यह अपराध गैरजमानती होगा।
यह भी होगा
सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में शामिल संबंधित सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। अध्यादेश के उल्लंघन की दोषी किसी संस्था या संगठन के विरुद्ध भी सजा का प्रावधान होगा। जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में साक्ष्य देने का भार भी आरोपित पर होगा। यानी कपटपूर्वक, जबरदस्ती या विवाह के लिए किसी का धर्म परिवर्तन किए जाने के मामलों में आरोपित को ही साबित करना होगा कि ऐसा नहीं हुआ। यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में होगा और गैर जमानती होगा। अभियोग का विचारण प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में होगा। यदि किसी लड़की का धर्म परिवर्तन एक मात्र प्रयोजन विवाह के लिए किया गया तो विवाह शून्य घोषित किया जा सकेगा। पीडि़ता या पीडि़त के अलावा उसके माता-पिता, भाई-बहन या रक्त संबंधी भी मामले में रिपोर्ट दर्ज करा सकेंगे।यह होगी सजा और जुर्माना
मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
सूबे में लव-जिहाद की बढ़ती घटनाएं कानून-व्यवस्था के लिए लगातार चुनौती बनती जा रही थीं। ऐसी घटनाओं में प्रभावी कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मांतरण को लेकर कठोर कानून बनाने की घोषणा की थी।
ऐसा धर्म परिवर्तन होगा अपराध
कानून के तहत ऐसे धर्म परिवर्तन को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जो मिथ्या, निरूपण, बलपूर्वक, असम्यक, प्रभाव, प्रपीडऩ, प्रलोभन या अन्य किसी कपट रीति से या विवाह द्वारा किया जाएगा।