कृतिका गुप्ता को हीवेट, अरमीन को चांसलर गोल्ड मेडल

केजीएमयू का दीक्षांत समारोह 30 अक्टूबर को होगा आयोजित, प्रो. बलराम भार्गव व प्रो. शिव कुमार सरीन को मिलेगी डीएससी की मानद उपाधि।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 22 Oct 2018 08:42 PM (IST) Updated:Mon, 22 Oct 2018 08:42 PM (IST)
कृतिका गुप्ता को हीवेट, अरमीन को चांसलर गोल्ड मेडल
कृतिका गुप्ता को हीवेट, अरमीन को चांसलर गोल्ड मेडल

लखनऊ (जेएनएन) । केजीएमयू के 30 अक्टूबर को होने वाले दीक्षांत समारोह में बेटियों का ही दबदबा देखने को मिलेगा। एमबीबीएस 2013 बैच की कृतिका गुप्ता को प्रतिष्ठित हीवेट गोल्ड मेडल और अरमीन को चांसलर गोल्ड मेडल मिलेगा। इस बार केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के हेल्थ रिसर्च विभाग के सेक्रेट्री प्रो. बलराम भार्गव और नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलेरी साइंसेज के निदेशक प्रो. शिव कुमार सरीन को डीएससी की मानद उपाधि दी जाएगी।

केजीएमयू के 14 वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मनीपाल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के नेशनल रिसर्च प्रोफेसर एमवीएस वैलीआथन बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल व कुलाधिपति राम नाईक करेंगे और विशिष्ट अतिथि के तौर पर चिकित्सा शिक्षा व प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल मौजूद रहेंगे।

पढ़ाई को एन्ज्वॉय करें, टेंशन न लें 

हीवेट गोल्ड मेडल विनर कृतिका गुप्ता ने बताया कि बिना तनाव के पढ़ाई करेंगे तभी सफलता मिलेगी। ऐसे में एन्ज्वॉय कर पढ़ाई करें। मैनें प्रतिदिन दिनचर्या का कड़ाई से पालन किया। मैंने क्लासिकल संगीत सीखा। स्पोट्र्स में भी रुचि है। स्कूल स्तर पर फुटबाल टीम में रही और कई मेडल भी जीते। मैं मूलरूप से गोरखपुर की रहने वाली हूं। मेरे पिता जगदम्बिका प्रसाद गुप्ता व मां कल्पना गुप्ता दोनों ने बचपन से ही मुझे डॉक्टर बनाने की ठानी। जीएन नेशनल पब्लिक स्कूल से हाईस्कूल 10 सीजीपीए और इंटरमीडिएट 91.2 प्रतिशत अंक के साथ पास किया।

लक्ष्य के प्रति समर्पण से मिली कामयाबी

चांसलर गोल्ड मेडल विजेता अरमीन का कहना है कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं और उसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं तो सफलता जरूर मिलेगी। मैं मूलरूप से बनारस की रहने वाली हूं और मेरे पिता सैय्यद मोहम्मद अली इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। मां आफरीन अली गृहिणी हैं। मुझे नॉवेल पढऩा अच्छा लगता है। आगे पीडियाट्रिक या फिर गाइनी में पीजी करूंगी और विशेषज्ञता हासिल करूंगी। मुझे इसके अलावा तीन गोल्ड मेडल भी मिले हैं। कभी हार न मानें और परिस्थितियों का मजबूती से सामना करें, तभी सफल होंगे।

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