कलाकारों को उदास कर रही संगीत नाटक अकादमी की बदहाली, कभी कथक सम्राट लच्छू महाराज से था गहरा नाता

संगीत नाटक अकादमी का 56वां स्थापना दिवस आज। एसएनए सम्मान समेत अन्य आयोजनों में अकादमी की उदासीनता। कथक केंद्र में नहीं है कोई स्थायी गुरु कई संगतकर्ताओं के पद भी खाली।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 01:35 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 01:35 PM (IST)
कलाकारों को उदास कर रही संगीत नाटक अकादमी की बदहाली, कभी कथक सम्राट लच्छू महाराज से था गहरा नाता
कलाकारों को उदास कर रही संगीत नाटक अकादमी की बदहाली, कभी कथक सम्राट लच्छू महाराज से था गहरा नाता

लखनऊ, जेएनएन। मैं संगीत नाटक अकादमी हूं। 13 नवंबर 1963 को उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को बढ़ाने के मकसद से स्थापना की गई। मेरे ही आंगन में कई बच्चों ने बुजुर्गों से मिली विरासत को बखूबी संभाला और पूरे विश्व में पहुंचा रहे हैं। उम्मीद है कि कला के आंगन में 57 वर्ष पूरे करने के अवसर पर शायद जिम्मेदारों की नजर-ए-इनायत हो और एक बार फिर से मैं जवान होकर आने वाले कल तक गुलजार रहूं।

एक समय था जब कला-संस्कृति के लिए समर्पित संगीत नाटक अकादमी का नाम पूरे देश में गूंजता था। अकादमी के जुड़े वरिष्ठ कलाकार देश-विदेश में अकादमी के साथ प्रदेश और शहर का नाम रोशन करते थे। संगीत नाटक अकादमी की स्थापना संगीत, नाटक और नृत्य कलाओं को प्रोत्साहन देने तथा उनके विकास और उन्नति के लिए विविध प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन करने के उद्देश्य से हुई थी। लेकिन मौजूदा समय में अकादमी उपेक्षा की शिकार होती जा रही है।

कथक केंद्र में स्थाई निदेशक व गुरु का पद है खाली

लखनऊ घराने के कथक के नए कलाकारों के हुनर तराशने के लिए कथक सम्राट लच्छू महाराज ने कथक केंद्र की 1972 में स्थापना की । कथक केंद्र के नामी गुरुओं ने देश को कथक के  नामचीन कलाकार भी दिए। जिसमें लच्छू महाराज के अलावा जे  विक्रम सिंघे, पदमश्री दमयंती जोशी, वसंतिक कपिला राज, सुरेंद्र सैकिया और अर्जुन मिश्र जैसे महान कथक गुरु शामिल रहे। जिन्होंने न सिर्फ कथक शिष्यों को कथक के गुर सिखाए, बल्कि ज्यादातर ने कथक केंद्र के निदेशक के दायित्व निभाकर कथक केंद्र को पहचान दिलाई। लेकिन 2015 में कथक गुरु सुरेंद्र सैकिया के निधन के बाद से अब तक कोई स्थाई कथक गुरु ही नही बना। इतना ही नही कथक केंद्र में स्थाई संगतकर्ताओं की कमी अरसे से बनी है। जिसमें पखावज वादक के पद पर कोई नही है। कथक केंद्र की शुरुआत में कथक नृत्यांगना पूर्णिमा पांडेय, कुमकुम आदर्श, कुमकुम धर, मालविका सरकार, बाली चंद्रा और सुरभि टंडन कथक नृत्यांगनाओं ने लखनऊ के कथक को दुनिया में पहचान दिलाई। आज कथक गुरु और संगतकर्ताओं की कमी की वजह से कलाकारों में काफी निराशा है। 

समय से नहीं बंट पा रहे अकादमी अवॉर्ड 

अकादमी की स्थापना के साथ ही शुरू हुई योजनाओं में ही शामिल है अकादमी सम्मान भी लापरवाही की मार झेल रहा है। वर्ष 1970 से शुरू हुआ यह सम्मान 2002 तक बखूबी चला। इसके बाद 2003 से इसकी स्थिति खराब हो गई। फिर तत्कालीन अध्यक्ष अच्छेलाल सोनी के कार्यकाल में वर्ष 2003 से 2008 के सम्मान बांटे गए। उसके बाद से अब तक करीब 12 वर्षों के सम्मान अभी तक नहीं बांटे जा सके हैं। अकादमी में पिछले दस सालों के सम्मानित विभूतियों के नाम भी घोषित कर दिए है, लेकिन बजट के अभाव की वजह से सम्मान समारोह नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा नाट्य समारोह के तहत होने वाला संभागीय नाट्य समारोह भी करीब दस वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। वहीं अकादमी के त्रैमासिक पत्रिका छायानट भी पिछले डेढ़ साल से प्रकाशित नहीं हो सकी है।

और भी हैं समस्याएं

अकादमी में दो सभागार हैं, वाल्मीकि रंगशाला और संतगाडगे जी महाराज। वाल्मीकि इस साल रेनोवेट हुआ, लेकिन समस्या जस की तस है। सभागार में लाइट और साउंड सिस्टम समेत कई सुविधाएं नदारद हैं। यही हाल संत गाडगे सभागार का भी है। कलाकारों को संत गाडगे में साउंड सिस्टम तक बाहर से लाना पड़ता है। गिनती की लाइटों के सहारे जैसे-तैसे आयोजन हो रहे हैं।

कलाकारों के विचार  वरिष्ठ कथक गुरु कुमकुम आदर्श के मुताबिक, कथक केंद्र देश के नामचीन कथक गुरुओं की ड्योढ़ी रही है, इसे संवारने के  लिए ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने होंगे। बिना कुशल कथक गुरु के किसी भी कथक पाठशाला की कल्पना नही की जा सकती।  कथक गुरु कुमकुम धर ने बताया कि अकादमी की अनदेखी का असर सीधे नए कलाकारों पर पड़ रहा है। कथक केंद्र में तमाम कथक गुरुओं ने प्रतिभाओं को निखारा है, लेकिन लंबे समय से कोई कथक प्रतिभा सामने नहीं आई। स्थायी गुरु से स्थिति बेहतर हो सकती है।

आज होगा नाटक कबीर का मंचन

अकादमी के स्थापना दिवस पर एक म्यूजिकल नाटक कबीर का मंचन बुधवार को किया जाएगा। शेखर सेन द्वारा निर्देशित और अभिनीत इस एकल नाटक में संगीत की धुनों के साथ कबीर के जीवन को दर्शाया जाएगा। अकादमी के सचिव तरुण राज ने बताया इस बार स्थापना दिवस पर म्यूजिकल नाटक का मंचन लोगों में आकर्षण का केंद्र रहेगा। नाटक के मंचन से पहले अकादमी परिसर में अकादमी के सभी कर्मचारी व अधिकारियों की बैठक होगी। जिसमें कर्मचारियों की के अनुभव के साथ उनकी समस्याओं पर चर्चा होगी। इस बैठक में हम सभी एक-दूसरे का दुख-सुख बांटेंगे। इसके अलावा अकादमी के विस्तार के साथ कल-संगीत के विकास पर चर्चा होगी। इस दौरान कर्मचारी एक दूसरे को मिठाई खिलाकर एक दूसरे को अकादमी के स्थापना पर बधाई देंगे।

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