कैमिकल Pregnancy के बारे में सुना है आपने? इससे खुशियों को लग जाती है नजर, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

आपको Pregnancy का अहसास होता है और खुशी-खुशी बाजार से Pregnancy Kit लेकर आती हैं। फिर टेस्ट खुशियों में चार चांद लगा देता है। लेकिन क्या आपने कैमिकल Pregnancy के बारे में सुना है?

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 30 Jun 2019 02:59 PM (IST) Updated:Sun, 07 Jul 2019 08:46 AM (IST)
कैमिकल Pregnancy के बारे में सुना है आपने? इससे खुशियों को लग जाती है नजर, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
कैमिकल Pregnancy के बारे में सुना है आपने? इससे खुशियों को लग जाती है नजर, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

लखनऊ [राफिया नाज]। लखनऊ के राजाजीपुरम की रहने वाली सीमा को कई साल बाद गर्भधारण होने का अहसास हुआ। जब टेस्ट कराया तो उसमें भी प्रेग्नेंसी भी कंफर्म हुई, लेकिन जब वो डॉक्टर के पास गई तो उन्होंने जवाब दिया कि यह नार्मल प्रेग्नेंसी नहीं है बल्कि केमिकल प्रेग्नेंसी है। वहीं कुछ दिन बाद एर्बाशन भी हो गया। एर्बाशन के 50 से ज्यादा मामलों में महिलाओं को केवल केमिकल प्रेग्नेंसी होती है। केमिकल प्रेग्नेंसी के बारे में क्वीनमेरी अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा सचान की एक्सपर्ट राय। 

क्या होती है केमिकल प्रेग्नेंसी 
अधिकतर इस तरह के मामले में महिलाएं प्रेग्नेंट हो जाती हैं। प्रेग्नेंसी टेस्ट किट में बहुत महीन लकीर आती है। जिससे उन्हें लगता है कि वो प्रेग्नेंट हैं। इस तरह की प्रेग्नेंसी की कंफर्मेशन ज्यादातर पीरयड आने से पहले हो जाती है। 

डॉक्टर दोबारा टेस्ट करने की देती हैं सलाह
इस तरह के मामले में डॉक्टर को अगर लगता है कि प्रेग्नेंसी काफी अर्ली स्टेज में कंफर्म हुई है तो वो महिला को कुछ दिन बाद दोबारा अल्ट्रासाउंड या प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के लिए कहती हैं। जिसमें इसकी पुष्टि होती है। 

यह है वजह 
केमिकल प्रेग्नेंसी में यूट्रस में कुछ न कुछ खराबी होती है। अधिकतर मामलों में यूट्रस की लेयर अच्छी नहीं होती है। अंडे अच्छे से फर्टीलाइज नहीं हुए होते हैं या यूट्रस की दीवार में उनका अच्छी तरह से इम्प्लानटेशन नहीं हो पाता है। 

हो जाता है एर्बाशन 
केमिकल प्रेग्नेंसी में भ्रूण का जेस्टेशन सेक नहीं बन पाता है। सामान्य भाषा में कहा जाए तो पांच हफ्ते में ही प्रेग्नेंसी अपने आप खत्म हो जाती है। सामान्य मामलों में छह सप्ताह में भ्रूण का जेस्टेशन सेक बनने लगता है और फीटस की धड़कन आ जाती है। जबकि केमिकल प्रेग्नेंसी में भ्रूण का विकास नहीं हो पाता है और न ही उसमें धड़कन आती है। 

अन एक्सप्लेन प्रेग्नेंसी
केमिकल प्रेग्नेंसी में टेस्ट में तो प्रेग्नेंसी कंफर्म हो जाती है। इसलिए इसे अन एक्सप्लेन प्रेग्नेंसी भी कहा जाता है। 

यह भी हो सकते हैं लक्षण 
केमिकल प्रेग्नेंसी अक्सर पीरयड से पहले ही कंफर्म हो जाती है। ज्यादातर मामलों में अपने आप एर्बाशन हो जाता है। वहीं कुछ मामलों में डॉक्टर दवा देकर एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी) कर देते हैं। 

यह हो सकते हैं कारण 
केमिकल प्रेग्नेंसी के कारण अज्ञात हैं फिर भी 35 वर्ष के बाद प्रेग्नेंट होना, हार्मोन का इम्बैलेंस, स्पर्म और एग्स की गुणवत्ता का खराब होना आदि कारण हो सकते हैं।

टेस्ट से हो सकता है कंफर्म 
केमिकल प्रेग्नेंसी की कंफर्मेशन अल्ट्रासाउंड और छह सप्ताह के बाद प्रेग्नेंसी की कंफर्मेशन से हो सकता है। 

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