शायर हसन कमाल व कवि राजेश जोशी को कैफी आजमी अवार्ड

कैफी आजमी अकादमी में आयोजित कार्यक्रम में शायर हसन कमाल व प्रख्यात कवि-लेखक राजेश जोशी को ऑल इंडिया कैफी आजमी अवॉर्ड से नवाजा गया।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Thu, 10 May 2018 11:20 PM (IST) Updated:Thu, 10 May 2018 11:58 PM (IST)
शायर हसन कमाल व कवि राजेश जोशी को कैफी आजमी अवार्ड
शायर हसन कमाल व कवि राजेश जोशी को कैफी आजमी अवार्ड

लखनऊ (जेएनएन)। मशहूर शायर कैफी आजमी जैसा शायर दूसरा कोई नहीं हुआ है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि उर्दू सबकी भाषा है। ऐसी बातें कैफी अकादमी में बने नए सभागार में होती रहीं। हर इंसान कैफी आजमी व उनकी तरक्की पसंद शायरी के बारे सुनना और कहना चाहता था। मौका था कैफी आजमी की 16वीं पुण्यतिथि पर आयोजित सम्मान समारोह व मुशायरे यादें कैफी का। पेपर मिल कालोनी स्थित कैफी आजमी अकादमी में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में अजीम शायर हसन कमाल व प्रख्यात कवि-लेखक राजेश जोशी को ऑल इंडिया कैफी आजमी अवॉर्ड से नवाजा गया। इस सम्मान के तहत एक लाख की धनराशि, शॉल व स्मृति चिह्न प्रदान किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मशहूर फिल्मकार एमएस सत्थ्यू, झारखंड के पूर्व राज्यपाल सिब्ते रजी, वरिष्ठ शायर शारिब रुदौलवी, गीतकार विलायत जाफरी समेत दोनों सम्मानित विभूतियों ने कैफी आजमी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद उन्होंने कैफी आजमी स्मारिका का लोकार्पण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सिब्ते रजी ने कहा कि हिंदी-उर्दू साहित्य में अपना योगदान देने वाली विभूतियों ने इस कैफी आजमी के पथ पर चल कर यह मुकाम हासिल किया। एमएस सत्थ्यू ने कहा कि कैफी आजमी ने गंगा-जमुनी तहजीब की हिमायत व हिफाजत की। यही वजह थी कि वह प्रगतिशील लेखन संघ से जुड़े। उन्होंने मुंबई का ऐशोआराम छोड़ अपने गांव में समय बिताया और गांव की समस्याओं को दूर किया। अकादमी के सचिव सईद मेहंदी रिजवी ने कैफी आजमी के साथ बिताए पलों को साझा कर अकादमी के कार्यों पर रोशनी डाली। कार्यक्रम की निजामत नदीम फर्रुख ने की। 

हिंदुस्तान में उर्दू शायरी को विस्तार की जरूरत : राजेश जोशी

कवि व लेखक राजेश जोशी ने कहा कि हिंदुस्तान में उर्दू शायरी को और बढ़ाने की जरूरत है। पाकिस्तान के मुकाबले हिंदुस्तान में उर्दू के शायरों की कमी है। हिंदी और उर्दू दो बहनें हैं। हिंदुस्तान के हर राज्य में उर्दू भाषा की झलक मिलती है। आज नफरत का माहौल है, ऐसे में यह सम्मान गंगा जमुनी तहजीब को और पुख्ता करता है। उर्दू पूरे देश की भाषा है। 

कैफी आजमी सम्मान पाना गर्व की बात : हसन कमाल

कैफी आजमी आज अगर जिंदा होते तो वह बहुत खुश होते। वह दोस्तों के दोस्त थे, उनके साथ कई बार मुशायरे में शायरी पढऩे का मौका मिला। अमेरिका जाने वाली पहली उर्दू शायरी टीम में कैफी आजमी के साथ मैं भी गया था। उस समय उनकी तबीयत खराब थी, फिर भी वह गए, मैं उन्हें व्हील चेयर पर घूमाता था।

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