सुन्नत-ए-रसूल है खजूर से रोजा खोलना, जानिए खजूर की इस्लामिक परंपरा के बारे में
मौलाना खालिद रशीद और मौलाना सैफ अब्बास ने बताया इफ्तारी में खजूर के इस्लामिक महत्व।
लखनऊ, जेएनएन। रमजान का महीना हो और खजूर की बात न हो, यह कैसे संभव है। शरीर के लिए पौष्टिक और थकान दूर करने वाले इस खजूर का सेवन इफ्तारी से पहले मुस्लिम समाज के लोग करते हैं। स्वास्थ्य के साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी है।
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि रमजान में खजूर से रोजा खोलना सुन्नत-ए-रसूल है। मुहम्मद साहब ने भी तीन खजूर खाकर रोजा खोला था। इसे जन्नत का फल भी कहा जाता है। इफ्तारी के दौरान कुछ भी खाने से पहले कम से कम तीन खजूर खाए जाते हैं। इसके बाद ही रोजेदार अन्य कोई पकवान खाते हैं। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से इस बार बाजार में खजूर की उपलब्धता बहुत कम है। थोक मंडियों और किराना की दुकानों पर खजूर होने के बावजूद आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कुरआन में है खजूर का जिक्र
खानदाने इजतेहाद के नौजवान आलिमे दीन मौलाना सैयद सैफ अब्बास नकवी ने बताया कि रमजान के पाक महीने में मुसलमान अल्लाह के मेहमान होते हैं। लिहाजा हर मुसलमान का फर्ज है कि वह अल्लाह जैसी इबादत चाहता है, वैसी इबादत करें। हमको इस बात का खयाल रखना चाहिए कि हम खुदा के मेहमान हैं और हमारे रोजे व इबादात खालिस अल्लाह की इताअत में हों। कुरआन व हदीस के मुताबिक जो रोजा रखेगा वह यकीनन बंदा अपने अल्लाह से करीब होगा। रही बात खजूर की तो इसका जिक्र कुरआन पाक में भी किया गया है। जन्नत के इस फल को खाने से दिनभर की थकान दूर हो जाती है। गरम पानी,नमक और खजूर का सेवन इफ्तारी के पहले किया जाता है।
सीतापुर रोड मंडी में 12 से तीन बजे तक मिलेगा खजूर
सीतापुर रोड स्थित नवीन सब्जी मंडी में खजूर की बिक्री के लिए मंडी प्रशासन ने दोपहर 12 से तीन बजे का समय तय किया है। रमजान में खजूर की उपलब्धता को लेकर आ रही दिक्कतों के मद्देनजर मंडी प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। इस दौरान उपभोक्ताओं और आढ़तियों को मंडी में शारीरिक दूरी के नियमों को मानना पड़ेगा। मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग भी नियमानुसार मंडी में किया जाएगा।
किराना शॉप में भी होगी खजूर की उपलब्धता
मंडी सचिव संजय सिंह के मुताबिक खजूर किराना दुकानों और बेकरी में भी मिलेगा। विदेशी खजूर की भी पैकिंग में उपलब्धता रहेगी।