महाराणा का जीवन हार न मानने की देता है प्रेरणा: राज्यपाल राम नाईक

राज्यपाल ने हुसैनगंज चौराहा स्थित महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया उन्हें याद।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 10 May 2018 10:27 AM (IST) Updated:Thu, 10 May 2018 10:27 AM (IST)
महाराणा का जीवन हार न मानने की देता है प्रेरणा: राज्यपाल राम नाईक
महाराणा का जीवन हार न मानने की देता है प्रेरणा: राज्यपाल राम नाईक

लखनऊ[जागरण संवाददाता]। महाराणा प्रताप ने मातृभूमि और संस्कृति की रक्षा के लिए अनेक कष्ट सहे, पर उन्होंने कभी भी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। उनका जीवन हमें विपरीत परिस्थिति में भी हार न मानने की प्रेरणा देता है। यह बातें राज्यपाल राम नाईक ने बुधवार को महाराणा प्रताप जयंती पर हुसैनगंज चौराहा स्थित महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि हमें जो स्वराज मिला है उसे सुराज में बदलने के लिए सभी अपना योगदान दें। यहीं उन्हें सच्ची श्रद्धाजलि होगी। वहीं, अखिल भारतीय क्षत्रिय कल्याण परिषद की ओर से प्रेस क्लब में आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अवधेश सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप सिर्फ क्षत्रियों के ही नहीं पूरे देश के लिए आन, बान और शान के प्रतीक हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार से महाराणा प्रताप की जयंती पर अवकाश घोषित करने की माग उठाई। वहीं सेवानिवृत्त आइएएस अवधेश सिंह राठौड़ ने कहा कि महाराणा प्रताप स्वाभिमानी थे, लेकिन अभिमानी नहीं थे।

वहीं, सनातन महासभा की ओर से गोमती तट स्थित झूलेलाल वाटिका में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान कार्यकर्ताओं को महाराणा प्रताप के जीवन से सीख लेकर उनके विचारों को अपनाने का संकल्प दिलाया गया। संगठन के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण ने कहा कि भारत को अखंड भारत बनाने के लिए आज फिर महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं की जरूरत है। क्षत्रिय समाज हमारा स्वाभिमान संगठन के अध्यक्ष मनोज सिंह चौहान ने समाज के युवाओं को दहेज रहित शादी करने की शपथ दिलाई। विकासनगर में आयोजित कार्यक्त्रम में उन्होंने कहा कि दहेज प्रथा बेहद शर्मनाक है। इसे खत्म करना होगा। इंदिरा नगर आवासीय महासमिति के कार्यकर्ताओं ने भी महाराणा प्रताप के विचारों को याद कर उन्हें नमन किया। महासमिति के अध्यक्ष देवीशरण त्रिपाठी ने कहा कि महाराणा प्रताप ने देश के लिए लड़ते-लड़ते अपने प्राण का बलिदान दे दिया। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

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