'Google Girl' हैं गोंडा की ये बेटियां इंडिया बुक ऑफ रिकाॅर्ड में दर्ज हैं इनके नाम Gonda News

इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है गोंडा के प्राथमिक विद्यालय भीखमपुर की छात्रा का नाम।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 24 Aug 2019 05:44 PM (IST) Updated:Sun, 25 Aug 2019 08:46 AM (IST)
'Google Girl' हैं गोंडा की ये बेटियां इंडिया बुक ऑफ रिकाॅर्ड में दर्ज हैं इनके नाम Gonda News
'Google Girl' हैं गोंडा की ये बेटियां इंडिया बुक ऑफ रिकाॅर्ड में दर्ज हैं इनके नाम Gonda News

गोंडा [अजय पांडेय]। इन बेटियों की उम्र महज चार से दस साल है। परिषदीय स्कूल में पढ़ती हैं। इनके ज्ञान का स्तर और याददाश्त, बड़े बड़ों को मात देने वाला है। किसी को गिनती-पहाड़ा तो किसी को देश-दुनिया की जानकारियां कंठस्थ हैं। इनकी उपलब्धियों पर लगातार पुरस्कार मिल रहे और नाम रिकॉर्ड भी दर्ज हो रहे। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि ये बेटियां गूगल गर्ल हैं।

प्राथमिक विद्यालय भीखमपुर में कक्षा चार की छात्रा अंशिका मिश्रा छह मिनट 26 सेकेंड में भारत के सभी जिलों के नाम सुना देती है। इस प्रतिभा पर इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज हो चुका है। एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने ग्रैंड मास्टर के लिए चुना है। इंडिया स्टार आइकॉन ने सम्मानित किया है। इस बेटी को स्वतंत्रता से लेकर अब तक सभी राष्ट्रपतियों व प्रधानमंत्रियों के नाम और महत्वपूर्ण दिवस याद हैं। कक्षा एक की छात्रा बबली एशिया के सभी 48 देश व उनकी राजधानियों के नाम बिना रुके सुना देती है। देश के सभी राज्यों व उनकी राजधानियों के नाम भी कंठस्थ हैं। कक्षा पांच की छात्रा सुप्रिया वर्मा किसी भी अंक का पहाड़ा सुना जा सकता है। कक्षा पांच में पढ़ती आरती की तीन साल की बहन अंजली रोजाना उसके साथ स्कूल आती है। इसको देश के सभी राज्यों व उनकी राजधानियों के नाम याद हैं।

सुप्रिया के पिता हैं ड्राइवर

-सुप्रिया के पिता ट्रक ड्राइवर हैं। ट्रक चलाकर वह परिवार का भरण पोषण करते हैं। अंजलि के पिता मजदूर हैं। गांव में लोगों के यहां मजदूरी करके बच्चों का लालन-पालन कर रहे हैं। अंशिका व बबली स्कूल के प्रधानाध्यापक मनोज मिश्र की बेटियां हैं। वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। 

माहौल में बदलाव कर किया संभव

-2014 में विद्यालय का संचालन शुरू हुआ। प्रधानाध्यापक मनोज मिश्र कहते हैं कि लोग बेटों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं जबकि बेटियों को सरकारी स्कूल में भेजते हैं। स्कूल में पंजीकृत 115 बच्चों में 60 छात्राएं हैं। इसलिए यह संकल्प लिया कि उनकी प्रतिभा को निखारना है। परिवेश से लिंगभेद समाप्त किया। अच्छी तालीम पर जोर दिया। इसी का नतीजा है कि छात्राएं अब रिकॉर्ड बना रही हैं। वह कहते हैं कि जब अध्यापकों के बच्चे कान्वेंट स्कूलों में पढ़ेंगे तो सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर नहीं सुधर सकेगा। 

बेहतर हैं स्कूल

बीएसए मनिराम सिंह ने बताया कि वह स्कूल का भ्रमण कर चुके हैं। बेहतर शैक्षिक माहौल है। बच्चे आपस में घुल-मिलकर पढ़ाई करते हैं। शिक्षकों के पढ़ाने का तरीका अच्छा है, जिससे कि यहां कि छात्राएं नाम रोशन कर रही हैं।

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