एसिड अटैक पीड़िताओं की मुफ्त सर्जरी कर जगा रहे जीने का जज्बा

डॉ. विवेक हर माह करीब दो से तीन एसिड पीड़ित महिलाओं को नई जिंदगी दे रहे हैं। उन्‍होंने अब तक 70 से अधिक महिलाओं को ठीक किया है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 23 Jan 2019 08:54 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jan 2019 07:55 AM (IST)
एसिड अटैक पीड़िताओं की मुफ्त सर्जरी कर जगा रहे जीने का जज्बा
एसिड अटैक पीड़िताओं की मुफ्त सर्जरी कर जगा रहे जीने का जज्बा

लखनऊ, जेएनएन।  तेजाब सिर्फ चेहरे और शरीर को नहीं जलाता, बल्कि पीडि़त महिला के सपनों, उम्मीदों और जीने की आस व आत्मविश्वास को भी जलाकर खाक कर देता है। पीडि़त को घुटन व जिल्लत भरी जिंदगी जीने को विवश होना पड़ता है। ऐसे उदास मन व जख्मी सपनों  को शहर के डॉ. विवेक सक्सेना फिर से सजाने का काम कर रहे हैं। वह तेजाब पीडि़तों की निस्वार्थ मन से मुफ्त सर्जरी कर उनको पुन: स्थापित करने का काम कर रहे हैं। गोमती नगर स्थित मिठाईवाला चौराहे के पास उनकी क्लीनिक है, जहां वह एसिड अटैक पीडि़तों के चेहरे की खूबसूरती को जटिल सर्जरी कर लौटा रहे हैं।

एक चेहरे को ठीक करने में लगता है साल भर का वक्त

डॉ. विवेक बताते हैं कि नाक नक्श के साथ चेहरे पर आईब्रो के बाल सुंदरता के लिए काफी मायने रखते हैं। ज्यादातर मामलों में चेहरे व सिर के बाल बुरी तरह झुलस जाते हैं। ऐसे में बर्न स्किन पर बालों को ट्रांसप्लांट करना काफी मुश्किल होता है, लेकिन डॉ. विवेक इसी काम को बेहद आसानी से कर लेते हैं।

यकीन नहीं होता, क्या ऐसे भी लोग हैं

मानवीय कुकृत्यों के चलते टूट चुकी एसिड पीडि़ताएं डॉ. विवेक को मसीहा मानती हैं। शिरोज कैफे में काम कर रही अलीगढ़ की जीतू शर्मा ने बताया कि 14 जुलाई 2014 को उसपर हुए एसिड अटैक से सिर के बाल और आईब्रो पूरी तरह झुलस गए। बड़े बड़े अस्पतालों में आईब्रो के एक बाल की कीमत चार हजार रुपये बताई गई। मगर डॉक्टर विवेक न सिर्फ आईब्रो बल्कि पूरी तरह झुलस चुके सिर के बाल भी वापस लाए।

एसिड अटैक से शहर की रहने वाली कविता का चेहरा पूरी तरह झुलस चुका था। कविता भी जीने की आस छोड़ चुकी थी। मगर डॉ. विवेक सक्सेना ने कविता की खोई खूबसूरती को वापस लाने की ठानी। उन्होंने दस घंटे की जटिल सर्जरी के दौरान में वह कर दिखाया जो औरों के लिए मिसाल माना जा रहा है।

मरीज नहीं, घर की सदस्य हैं

डॉ. विवेक की सेवा भावना सिर्फ उपचार तक सीमित नहीं है। वह एसिड पीडि़ताओं को परिवार का सदस्य मानते हैं। डॉ. विवेक अपना जन्मदिन भूल एसिड पीडि़तों का जन्मदिन को बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं। इतना ही नहीं शादी के लिए हम सफर ढूंढ़ शादी के पूरे खर्च को भी उठाने में नहीं गुरेज करते।

यहां संवर रही जिंदगी

गोमती नगर स्थित शिरोज कैफे में एसिड अटैक पीडि़ताओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। 2014 से राजधानी में स्थापित शिरोज संस्था में करीब 15 से अधिक एसिड पीडि़ताएं काम कर रही हैं। कम समय में शिरोज कैफे ने एक बेहतर रेस्टोरेंट के रूप में अपनी पहचान बना ली है। संस्था संचालक आलोक बताते हैं कि एसिड अटैक जीवन भर कभी न खत्म होने वाली पीड़ा है। छोटे जख्मों भरे जा सकते हैं। मगर एसिड अटैक पीडि़ता को जॉब की भी गुंजाइश नहीं रह जाती। ऐसे में उन्हें एक अ'छा और सम्मानजनक प्लेटफार्म मुहैया कराने के मकसद से इसकी शुरुआत की गई थी।

chat bot
आपका साथी