लखनऊ सीएमएस के संस्थापक ने 12वीं की परीक्षा कराने की छेड़ी मुहिम, पीएम को पत्र लिखकर की यह अपील

कहा सरकार को 12वीं बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लेना चाहिए। जिससे कड़ी मेहनत करने वाले मेधावी छात्रों के साथ अन्याय को रोका जा सके। परीक्षा नही कराने से देश भर के लाखों मेधावी छात्रों को अपनी बौद्धिक प्रतिभा व शैक्षणिक प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर नहीं मिलेगा।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 04:05 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 10:52 PM (IST)
लखनऊ सीएमएस के संस्थापक ने 12वीं की परीक्षा कराने की छेड़ी मुहिम, पीएम को पत्र लिखकर की यह अपील
CBSE Class 12 Board Exam:कहा- कक्षा-12 की बोर्ड परीक्षा को निरस्त करना छात्रों के लिए अन्याय होगा।

लखनऊ, जेएनएन। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में एक ही शहर में सर्वाधिक छात्र संख्या (वर्तमान में 55000) वाले सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक व शिक्षाविद् डा. जगदीश गांधी ने नरेन्द्र मोदी से बोर्ड की 12वीं की परीक्षा कराये जाने की अपील की है। उनका कहना है कि भावी पीढ़ी के भविष्य को ध्यान रखते हुए और उनके दो साल की कठिन मेहनत के वास्तविक परिणाम के लिए कक्षा-12 की बोर्ड परीक्षाएं अगस्त माह में अवश्य ही आयोजित की जानी चाहिए।

शुक्रवार को आनलाइन प्रेस वार्ता में डा. गांधी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे पत्र में उन्होंने कक्षा-12 की निरस्त की गई बोर्ड परीक्षाओं पर पुनर्विचार करने की पुरजोर अपील की है। चूँकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अतुलनीय प्रयासों से पूरे देश में कोरोना संक्रमण का स्तर बहुत तेजी से घटता जा रहा है, ऐसे में, पूरी उम्मीद है कि अगस्त माह तक कोरोना संक्रमण पूरी तरह से नियन्त्रित हो जायेगा। ऐसे में कक्षा-12 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए अगस्त उपयुक्त है।

उन्होंने कहा कि सरकार को आइएससी की 12वीं बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लेना चाहिए। जिससे कड़ी मेहनत करने वाले मेधावी छात्रों के साथ अन्याय को रोका जा सके। यदि देश भर के लाखों मेधावी छात्रों को अपनी बौद्धिक प्रतिभा व शैक्षणिक प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर नहीं मिलेगा तो उनके कैरियर व भविष्य की संभावनाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द करने से निर्णय से उत्पन्न परिस्थितियों में सभी छात्रों का एक वैध एवं पारदर्शी मूल्यांकन संभव नहीं है। ऐसे में देश भर के मेधावी छात्र उच्च शिक्षा के लिए देश-विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में अपने प्रवेश को लेकर चिंतित है। उनका कहना है कि यदि स्कूलों द्वारा दिये गये अंकों के आधार पर परीक्षाफल घोषित किया जाता है, तो ऐसे में उन मेधावी छात्रों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने 2 साल तक लगातार बोर्ड परीक्षा की तैयारी की है। इसके साथ ही एक डर यह भी है कि एवं वैध एवं पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली के अभाव में स्कूल जहां मनमानी रूप से बच्चों को नंबर दे सकते हैं, तो वहीं मेधावी छात्रों का कमजोर छात्रों के साथ मूल्यांकन करना भी मेधावी छात्रों के साथ अन्याय होगा।

कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा के अंक विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कट-आफ प्रतिशत प्रवेश प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाता है। इसलिए अगर छात्रों की बोर्ड परीक्षा नहीं करवायी जाती तो विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए उनका कटआफ प्रतिशत कैसे निर्धारित होगा? और कट आफ प्रतिशत निर्धारित न होने की दशा में छात्रों की एक बहुत बड़ी संख्या स्नातक प्रवेश परीक्षा में शामिल होगी और उस दशा में किसी भी विश्वविद्यालय के लिए इतनी बड़ी संख्या में छात्रों की प्रवेश परीक्षा आयोजित करना बहुत टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।

उनका कहना है कि बीते वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय एवं उससे सम्बद्ध महाविद्यालयों में 5 लाख 63 हजार छात्रों ने दाखिले के लिए आवेदन किया था, जिसमें से मात्र 57,312 छात्रों को प्रवेश मिला। यदि विश्वविद्यालयों द्वारा देश भर के लाखों-करोड़ों बच्चों की प्रवेश परीक्षा करायी जाती है तो बोर्ड परीक्षा कराने में भी कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि 12वीं की परीक्षा को रद्द करते समय बोर्ड द्वारा इस बात का विकल्प खुला रखा गया था कि आने वाले समय में कोरोना महामारी के नियंत्रित होने पर बोर्ड परीक्षाओं को आयोजित करवाया जा सकता है। नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी (एनटीए) अगले सप्ताह तक तक नीट एवं जेईई से जुड़ी परीक्षा का कार्यक्रम जारी करने जा रही है। ऐसे में, कक्षा-12 की बोर्ड परीक्षा को निरस्त करना छात्रों के लिए अन्याय होगा। 

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