सिसेंडी विस्फोट : हर दस कदम पर बारुद का ढेर

लखनऊ। मोहनलालगंज के सिंसेडी में अवैध रूप से आतिशबाजी बनने की बात विस्फोट के बाद भले ही सामने

By Edited By: Publish:Sat, 20 Sep 2014 01:28 PM (IST) Updated:Sat, 20 Sep 2014 01:28 PM (IST)
सिसेंडी विस्फोट : हर दस कदम पर बारुद का ढेर

लखनऊ। मोहनलालगंज के सिंसेडी में अवैध रूप से आतिशबाजी बनने की बात विस्फोट के बाद भले ही सामने आ गई है, लेकिन लखनऊ में तो कुछ जगह पर हर दस कदम पर बारूद का ढेर सजा है।

नादान महल रोड पर एक बारात घर लेकिन इस बारात घर के दरवाजे पर ही आतिशबाजी की थोक दुकान। नियम तो यह है कि दुकान ऐसे सार्वजनिक स्थान पर खुल नहीं सकती लेकिन जिला प्रशासन हो या फिर दमकल विभाग। उसे इसमें कोई खामी नहीं दिखती। सिर्फ इतना ही नही, दुकान पर पूरे दिन आतिशबाजी के बंडल दुकान के बाहर बरामदे व सड़क तक पड़े रहते हैं।

इसी तरह से मौलवीगंज रोड पर मुसाफिर खाना है। इस मुसाफिर खाने में प्रवेश द्वार भी बामुश्किल चार फीट चौड़ा होगा लेकिन इस रास्ते के बगल में ही आतिशबाजी की थोक दुकान है। इस दुकान को जिला प्रशासन ने ही लाइसेंस दे रखा है। यही नहीं, यहां सुरक्षा मानकों की जांच करने वाला दमकल विभाग भी हर बार आंख मूंद कर अनापत्ति जारी कर देता है।

मोहनलालगंज में शनिवार को पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद राजधानी के थोक पटाखा बाजार में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। घटना से व्यापारी सबक लेने को तैयार दिखे न प्रशासन। रकाबगंज चौराहा हो या फिर चिक मंडी मोड़ के पास कांप्लेक्स व धार्मिक स्थल के ठीक सामने दुकान। हादसा होने पर यह हालात क्या होंगे, इसकी कल्पना मात्र से सिहरन दौड़ जाती है लेकिन जिम्मेदार महकमों इस ओर से एकदम उदासीन है। जांच के नाम पर सिर्फ रस्म अदायगी होती है और हर बार इन दुकानों को लाइसेंस व कारोबार की अनुमति प्रदान कर दी जाती है। खास बात यह है कि दीपावली को अभी करीब एक महीना है लेकिन आतिशबाजी का थोक कारोबार पूरे चरम पर है। दरअसल अभी थोक दाम कम होने के कारण इस समय बिक्री सबसे ज्यादा होती है लेकिन दमकल विभाग और पुलिस के अधिकारी तो व्यापार शुरु होने की जानकारी तक से मुकर जाते हैं। यही नहीं, प्रशासन भी व्यस्त बाजारों में चल रहे इस कारोबार के प्रति उदासीन बना हुआ है जिसके कारण सारे नियम -कानून दरकिनार कर आतिशबाजी का कारोबार हो रहा है।

दमकल पहुंचना भी मुश्किल

नादान महल रोड हो या फिर मौलवीगंज लेकिन यहां हादसा होने पर कितनी देर में दमकल वाहन पहुंचेगा, इसका अंदाजा खुद दमकल विभाग के अधिकारियों को नहीं है। कारण है कि दोनों ही क्षेत्र अति व्यस्त हैं और यहां लगभग हर वक्त जाम लगा रहता है। यही नहीं, मौलवीगंज में फोम, गद्दा, रुई तथा चमड़ा-रेक्सीन का थोक बाजार है। ऐसे में यहां पर होने वाला हादसा कहीं ज्यादा गंभीर होगा लेकिन प्रशासन व पुलिस हर बार इसकी उपेक्षा करती है।

बिना जांच के होने लगा कारोबार

नियमानुसार थोक कारोबारी स्टाक की महज दस फीसद आतिशबाजी दुकान पर रख सकते हैं और यहां पर सिर्फ आर्डर बुकिंग का प्रावधान है। लेकिन यह सिर्फ कागजी नियम है। दुकानदार यहां पर निर्धारित स्टाक से कहीं ज्यादा माल रखते हैं और यहीं से कारोबार करते हैं। सूत्रों के मुताबिक दीपावली पर्व के मद्देनजर कई दुकानदारों ने मशकगंज, सिटी स्टेशन, खजुआ आदि क्षेत्रों में भाड़े के घर लेकर वहां पर भी आतिशबाजी का भंडारण शुरु कर दिया है। ताकि सीजन के वक्त उन्हें ज्यादा दूर न जाना पड़े।

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जांच की आड़ में बहुत कुछ

स्थायी लाइसेंस धारक आतिशबाजी कारोबारियों की हर साल जांच होती है। सवाल यह है कि बारात घर के बाहर या फिर असुरक्षित व सार्वजनिक स्थल पर घने बाजार में दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण कैसे हो जाता है, यह अपने आप में सवाल है? यही नहीं, दमकल विभाग के अधिकारी भी सुरक्षित होने की स्वीकृति प्रदान कर देते हैं जबकि पूरे क्षेत्र में वाटर हाइड्रेंट तक नहीं है। यही नहीं, स्थायी दुकानों के लिए व्यापार करने के लिए आबादी के बाहर का स्थान तय है और बस उसी के नाम पर जिम्मेदार महकमे भी उदासीन बने रहते हैं।

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