चक गजरिया : आठ हजार की अनुमति लेकर काट डाले एक लाख पेड़

चक गजरिया : एनजीटी ने दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा। पौधरोपण करके पांच साल रखरखाव करे वन विभाग।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 03 Nov 2018 10:14 AM (IST) Updated:Sat, 03 Nov 2018 03:15 PM (IST)
चक गजरिया : आठ हजार की अनुमति लेकर काट डाले एक लाख पेड़
चक गजरिया : आठ हजार की अनुमति लेकर काट डाले एक लाख पेड़

लखनऊ, (जेएनएन)।  चक गजरिया को सीजी सिटी बनाने के लिए अनुमति करीब आठ हजार पौधों की ली गई थी, लेकिन करीब सवा लाख पौधे काट डाले गए। चक गजरिया के जंगल काटे जाने पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यह साफ कर दिया है कि पर्यावरण से खिलवाड़ किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट ने 'वी द पीपुल' संस्था की याचिका पर फैसला देते हुए एनजीटी ने आदेश दिया है कि बगैर अनुमति पेड़ों की कटान के लिए पांच करोड़ जुर्माना तीन माह के भीतर देना होगा। वन विभाग 500 हेक्टेयर क्षेत्र में न केवल पौधरोपण कराएगा बल्कि पांच साल तक पौधों की रखवाली भी करेगा। इस पर आने वाला खर्च वन विभाग को वहन करना होगा।

दरअसल, वन विभाग से परियोजना के तहत 7944 पेड़ों को काटने की अनुमति ली गई थी। इसके लिए 96 लाख रुपये जमा कराए गए थे, लेकिन जंगल में एक लाख 19 हजार पेड़ों की कटाई की गई। हालांकि, याचिकाकर्ता के  अनुसार इससे भी ज्यादा पेड़ों की बलि ली गई। जीव-जंतुओं को जो नुकसान पहुंचा वह अलग। एनजीटी ने प्रदेश सरकार को उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं जो इस पर्यावरणीय क्षति के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। आदेश में कहा गया है कि यदि तीन माह में जुर्माना नहीं दिया जाता तो देय राशि पर 12 फीसद वार्षिक की दर से ब्याज भी देना होगा। जुर्माने के पांच करोड़ रुपये से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) पर्यावरण को पहुंची क्षति की भरपाई के लिए कार्य करेगा। 

एनजीटी ने आदेश में कहा है कि चक गजरिया नगर विकास विभाग की योजना थी, जिसे लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा लागू कराया गया था। यह प्रदेश सरकार पर है कि वह जुर्माना राशि किससे कितना वसूलती है। अंतिम जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की ही होगी।

नजीर बनेगा आदेश

सचिव वी द पीपुल के याचिकाकर्ता एडवोकेट प्रिंस लेनिन ने कहा कि विकास कार्यों की आड़ में पेड़ों की कटान तेजी से बढ़ रही है। खास बात यह है कि हरियाली पर आरा चलाते समय संस्थाएं एक बार भी यह नहीं सोचती कि हरियाली पर चोट से पर्यावरण को होने वाली अपूर्णनीय क्षति की भरपाई आखिर कैसे होगी। ऐसे में एनजीटी का यह आदेश नजीर बनेगा और संस्थाएं पेड़ों की बलि लेने से पहले दस बार सोचेंगी। कॉम्पेनसेट्री पौधरोपण पर भी नजर रखी जाएगी जिससे आदेशों के अनुपालन में हीलाहवाली न हो सके। 

प्रधान मुख्य वन संरक्षक एसके उपाध्याय ने कहा कि एनजीटी के आदेश के अनुपालन में 500 हेक्टेयर क्षेत्रमें पौधरोपण किया जाएगा। पौधरोपण चूंकि जिले में ही करने की शर्त नहीं रखी गई है इसलिए प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर पौधरोपण कर पांच वर्ष तक देखभाल की जाएगी।  

अहम तथ्य एमिकस क्यूरी को एक लाख रुपये दिए जाने के भी आदेश आदेशों के क्रियांवयन पर पर्यावरण, वन मंत्रालय का क्षेत्रीय कार्यालय नजर रखेगा जंगल की कटाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ तीन माह में करें कार्रवाई

इतना हुआ नुकसान वर्ष 2012 में हरित कवच (40-70 फीसद) 0.684 हेक्टेयर था जो वर्ष 2017 में घटकर शून्य हो गया वर्ष 2012 में चक गंजरिया जंगल में निर्मित क्षेत्र 0.147 हेक्टेयर था जो वर्ष 2017 में बढ़कर 7.266 हेक्टेयर हो गया 7,944 पेड़ों को काटने की अनुमति लेकर काट डाले एक लाख 19 हजार पेड़

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