UPPCL PF Scam : ईडी ने दर्ज किया मनी लांड्रिंग का केस, जल्द कई आरोपितों पर शिकंजा कसने की तैयारी
UPPCL PF Scam अब गिरफ्तार पावर कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी एपी मिश्र निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी व सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता समेत 14 आरोपितों पर ईडी का भी शिकंजा कसेगा।
लखनऊ, जेएनएन। यूपी में बिजली कर्मियों के पीएफ घोटाले में आरोपितों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुख्यालय ने पीएफ घोटाले में मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज कर लिया है। जल्द पीएफ घोटाले में गिरफ्तार पावर कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी एपी मिश्र, निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी व सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता समेत 14 आरोपितों पर ईडी का भी शिकंजा कसेगा।
पीएफ घोटाले में आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) की जांच में काले धन को सफेद किए जाने व फर्जी ब्रोकर फर्मों के जरिए करोड़ों के कमीशन को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए जाने के तथ्य सामने आए थे। इसके बाद ही ईओडब्ल्यू ने ईडी से संपर्क कर मनी लांड्रिंग के तहत भी जांच किए जाने की सिफारिश की थी। मंगलवार को ईडी के दिल्ली स्थित मुख्यालय की स्पेशल इंवेस्टीगेशन यूनिट के डिप्टी डायरेक्टर प्रमोद कुमार ने लखनऊ आकर ईओडब्ल्यू के अधिकारियों से जांच से जुड़े कई अहम दस्तावेज लिए थे। ब्रोकर फर्मों व बैंक खातों का ब्योरा जुटाने के बाद ईडी ने पीएफ घोटाले में केस दर्ज कर लिया है।
ईडी निजी कंपनी डीएचएफएल (दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड) की जांच पहले से कर रही है। विजिलेंस भी आरोपित तत्कालीन एमडी एपी मिश्र, निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी व सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच कर रही है। ईओडब्ल्यू ने पीएफ घोटाले में अब तक 14 आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन चार्टर्ड अकाउटेंट (सीए) व डीएचएफएल का एक पूर्व कर्मचारी भी शामिल हैं। ईओडब्ल्यू की जांच में सीए के जरिए कई फर्जी ब्रोकर फर्मों का रजिस्ट्रेशन कराकर उनमें कमीशन के करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए जाने के तथ्य भी सामने आ चुके हैं। ब्रोकर फर्मों को दी गई कमीशन की रकम को अलग-अलग कई खातों में ट्रांसफर किया गया था। पूरे मामले में कई और संदिग्धों की भूमिका की भी गहनता से जांच की जा रही है।
यह है मामला
बिजली कर्मियों के पीएफ के लगभग 4122.70 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। नियम विरुद्ध पीएफ की रकम को निजी कंपनी में निवेश किए जाने के मामले में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। शासन ने घोटाले की विवेचना ईओडब्ल्यू को सौंपी थी।