लखनऊ एयरपोर्ट से दशकों पुराने 90 पेड़ों का होगा ट्रांसफर

एलएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि सबसे पहले कानपुर रोड स्थित मेट्रो डिपो में 300 से अधिक पेड़ों को स्थानांतरित किया था।

By Amal ChowdhuryEdited By: Publish:Fri, 22 Dec 2017 09:38 AM (IST) Updated:Fri, 22 Dec 2017 09:38 AM (IST)
लखनऊ एयरपोर्ट से दशकों पुराने 90 पेड़ों का होगा ट्रांसफर
लखनऊ एयरपोर्ट से दशकों पुराने 90 पेड़ों का होगा ट्रांसफर

लखनऊ (अंशू दीक्षित)। पेड़ों को शिफ्ट कराने में एक्सपर्ट हो चुके लखनऊ मेट्रो ने अपने नए स्टेशन पर कई दशक से लगे 90 पेड़ों का ट्रांसफर मौसम विभाग के कार्यालय के पास कर दिया है। बिना किसी नुकसान के यह पेड़ लगाए गए हैं। पांच से 25 साल के उम्र वाले इन पेड़ों को बिना नुकसान पहुंचाए, यह काम मेट्रो में काम कर रही वन विभाग की टीम ने बखूबी किया है। अब तक यह टीम करीब 800 से अधिक पेड़ों को शिफ्ट कर चुकी है।

नार्थ साउथ कॉरीडोर के चौधरी चरण सिंह मेट्रो स्टेशन को भूमिगत बनाया जा रहा है। स्टेशन बनने से पहले लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) की टीम ने पेड़ों के चारों ओर विशेषज्ञों की मदद से खुदाई की और फिर उनकी जड़ों को बोरियों में लपेटकर एक स्थान से दूसरे स्थान मशीनों की मदद से स्थानांतरित करने का काम किया। यह क्रम करीब लखनऊ मेट्रो ने तीन माह तक किया। अफसरों का दावा है कि स्थान पहले तलाश लिया गया था, इसलिए एयरपोर्ट के आसपास लगा एक भी पेड़ खराब नहीं हुआ।

एलएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि सबसे पहले कानपुर रोड स्थित मेट्रो डिपो में 300 से अधिक पेड़ों को स्थानांतरित किया था। इसके बाद ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग मेट्रो स्टेशन (8.5 किमी) और फिर चारबाग से मुंशी पुलिया के बीच चार सौ से अधिक पेड़ों को सुरक्षित स्थानों पर लगाया गया है। उन्होंने बताया कि इन पेड़ों को लगाने के बाद उनकी मॉनीटरिंग भी कुछ समय के लिए की जाती है। जब यह पेड़ बेहतर तरीके से ग्रोथ करने लगते हैं तभी मेट्रो की टीम अपनी निगरानी बंद करती है।

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एलएमआरसी के एमडी कुमार केशव ने बताया कि नार्थ साउथ कॉरीडोर के चौधरी चरण सिंह मेट्रो स्टेशन से मुंशी पुलिया तक हरियाली का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। जहां पेड़ लगाने की जगह मेट्रो को नहीं मिली है वहां डिवाइडर के बीच हरियाली करने का काम किया गया है। उन्होंने बताया आठ सौ से अधिक पेड़ों को शिफ्ट किया जा चुका है और उचित स्थान को देखते हुए छोटे बड़े इतने ही नए पेड़े लगाए गए होंगे।

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