Covid-19: यूपी में निगरानी के बावजूद बढ़ रहा कोविड-19 संक्रमित कूड़े से खतरा
राजधानी से हर रोज निकल रहा लगभग 526 किलोग्राम कोविड-19 कचरा। प्रदेश में हर रोज साडे 5 टन कोविड-19 संक्रमित कचरे का हो रहा है निस्तारण।
लखनऊ, जेएनएन। कोविड-19 का अस्पताली कचरा भी संक्रमण के लिहाज से बेहद खतरनाक साबित हो सकता है ।यही वजह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जहां इसकी सख्त निगरानी की जा रही है । वहीं दूसरी ओर अस्पताली कचरे का निस्तारण करने वाली कंपनियां भी अपनी ओर से काफी एहतियात बरत रही हैं । लेकिन बीते दिनों जिस तरह राजधानी में अलग-अलग अस्पतालों में अचानक कोविड-19 पॉजिटिव मरीज होने का खुलासा हुआ खतरा और बढ़ गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा कोविड-19 बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए गाइडलाइन जारी की गई है । आशय यह है कि कोविड-19 से संक्रमित कचरा भी बहुत खतरनाक साबित हो सकता है । राजस्थानी में हर रोज 82 सरकारी व लगभग 1100 निजी अस्पताल, ब्लड बैंक, पैथोलॉजी, डेंटल क्लीनिक आदि से अस्पताली कचरा उठाया जाता है। इसके अलावा जिन अस्पतालों में कोविड-19 के मरीज भर्ती है अथवा संदिग्ध मरीजों को क्वॉरेंटाइन व आइसोलेशन में रखा गया है वहां से कोविड-19 संक्रमित कचरे को अलग से उठाया जा रहा है ।
जैसे-जैसे संक्रमण के मामले प्रकाश में आ रहे हैं खतरा इस बात का पैदा हो गया है कि जो अस्पताल कोविड-19 के लिए नहीं है वहां संक्रमित मरीज के आने पर खतरा पैदा हो जाता है । कारण यह है कि बायो मेडिकल वेस्ट एकत्र करने वाली कंपनी उन जगह जहां कोविड-19 के मरीज हैं कचरा बिल्कुल अलग से उठाती है। रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल व गोमती नगर स्थित एक निजी अस्पताल में अचानक कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की पुष्टि होने पर बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करने वाली कंपनियों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है । वजह यह है कि इस बात का किसी को अनुमान भी नहीं था कि वहां कोविड-19 संक्रमित मरीज होगा।
शुक्रवार को रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल को इसीलिए सील कर दिया गया क्योंकि यहां एक मरीज में कोरोनावायरस की पुष्टि हुई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आशीष तिवारी बताते हैं कि सीपीसीबी की गाइड लाइन में स्पष्ट है कि अस्पतालों में जो भी मरीज आए सबसे पहले उसकी कोरोना की जांच की जाए । यदि मरीज पॉजिटिव निकलता है तो इसकी सूचना प्रशासन और सीएमओ को दी जानी चाहिए। अस्पतालों की भी यह जिम्मेदारी है कि वह हर मरीज की पहले जांच करवाएं जिससे यह पता चल सके कि वह संक्रमित तो नहीं।
उन्होंने बताया कि बोर्ड हर रोज बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करने वाली कंपनियों से जानकारी हासिल करता है । उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में हर रोज कोविड-19 संक्रमित साढ़े पांच टन कचरे का निस्तारण किया जा रहा है। वहीं राजधानी में कोविड-19 संक्रमित लगभग 526 किलोग्राम कूड़ा एकत्र किया जा रहा है। सदस्य सचिव ने कहा कि कंपनियों को हिदायत दी गई है कि वह कूड़ा कलेक्शन में किसी भी तरीके की लापरवाही ना बरतें । वही अस्पतालों से भी अपेक्षा है कि वह संक्रमित कचरे का सीपीसीबी की गाइडलाइन के अनुसार ही एकत्रीकरण कराएं व डिस्पोजल करें। एस एम एस बायो मेडिकल वेस्ट कंपनी के अनिकेत जोशी बताते हैं कि सभी अस्पतालों से कहा गया है कि यदि कोई मरीज कोविड-19 से संक्रमित है तो वह इसकी सूचना दें जिससे बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण में अतिरिक्त सावधानी बरती जा सके।
उन्होंने बताया कि राजधानी में करीब 1100 निजी व 82 सरकारी अस्पताल हैं जहां से हर रोज बायो मेडिकल वेस्ट एकत्र किया जाता है। जिन अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों का इलाज हो रहा है वहां सीपीसीबी की गाइडलाइन के अनुसार ही कूड़े को एकत्र करने के साथ तत्काल उपचार किया जाता है। सभी कर्मचारियों को दस्ताने, मास्क ,बूट व सैनिटाइजर जैसे सुरक्षा उपाय अपनाने के लिए कहा गया है। कूड़ा लाने वाली गाड़ियों को भी सैनिटाइज किया जाता है । अस्पतालों से कहा गया है की साधारण बायोमेडिकल वेस्ट भी अच्छी तरीके से पैक करके ही निस्तारित करें।