Coronavirus Lucknow News Update: कोरोना से ठीक होकर घर गए, लौटकर आए तो शरीर से गायब मिली एंटीबॉडी

Coronavirus Lucknow केजीएमयू में प्लाज्मा दान करने आए कोरोना योद्धाओं की जांच में सामने आया सच। डॉक्टर बोले मरीजों में 60 दिनों के अंदर खत्म हो रही बीमारी से लड़ने वाली एंटीबॉडी।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sat, 25 Jul 2020 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 25 Jul 2020 10:56 AM (IST)
Coronavirus Lucknow News Update: कोरोना से ठीक होकर घर गए, लौटकर आए तो शरीर से गायब मिली एंटीबॉडी
Coronavirus Lucknow News Update: कोरोना से ठीक होकर घर गए, लौटकर आए तो शरीर से गायब मिली एंटीबॉडी

लखनऊ [संदीप पांडेय]। Coronavirus Lucknow News Update: केजीएमयू के एक डॉक्टर कोरोना संक्रमित हुए। पूरी तरह ठीक होकर उन्होंने 20 दिन बाद मरीजों के लिए प्लाज्मा दान किया। वहीं, दोबारा 40 दिन बाद फिर प्लाज्मा देने पहुंचे मगर खून में एंटीबॉडी नहीं मिली। इसी तरह रेलवे स्टेशन पर तैनात कई सिपाही कोरोना की चपेट में आ गए। ठीक होकर 11 दिन बाद प्लाज्मा दान करने अस्पताल पहुंचे लेकिन, सिर्फ आठ के अंदर ही एंटीबॉडी मिली। लखीमपुर के एक डॉक्टर भी कोरोना संक्रमित हुए। केजीएमयू में इलाज चला। ठीक होकर घर गए। ढाई माह बाद प्लाज्मा दान करने लौटे मगर जांच में शरीर से एंटीबॉडी गायब मिली...।

यह सभी उदाहरण कोरोना से ठीक मरीजों के हैं, जिनका सच सामने आने के बाद चिकित्सा विज्ञानी हैरान हैं। उनके लिए नए सिरे से शोध का विषय बन गया है कि आखिर जिस एंटीबॉडी के दम पर कोरोना को हराने की कोशिश चल रही है, वह एकाएक शरीर सेे कैसे और क्यों गायब हो रही है...? हां, राहत वाली बात यह है कि अभी ऐसे मरीजों के दोबारा कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट नहीं आई है।

अन्य देशों में भी सामने आए मामले

मरीजों के शरीर से एंडीबॉडी गायब होने के मामले तमाम देशों में सामने आ चुके हैं। ङ्क्षकग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में भी इस तरह के केस पिछले कुछ दिनों से मिल रहे हैं। ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में ठीक हो चुके कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच में एंटीबॉडी गायब मिल रही है। विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने कई मरीजों में दो माह के भीतर आइजीजी एंटीबॉडी खत्म होने की पुष्टि की है। उनके मुताबिक, स्पेन में की गई स्टडी के मुताबिक वहां भी तीन माह में कई मरीजों में एंटीबॉडी समाप्त होने के केस रिपोर्ट किए गए हैं। हमारे संस्थान में अब तक 27 ठीक हो चुके मरीज प्लाज्मा दान के लिए पहुंचे, जिनमें 21 का प्लाज्मा संग्रह किया गया। छह मरीज एंटीबॉडी न मिलने के कारण लौटा दिए। वह कहती हैं, कोरोना के तमाम मरीज ठीक होकर खुद को शत-प्रतिशत सुरक्षित महसूस कर रहे हैंं। शरीर मेें कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी से निश्चिंत हैंं, जबकि ऐसा है नहीं।

क्या है एंटीबॉडी?

एंटीबॉडी शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम शरीर में वायरस को बेअसर करने के लिए पैदा करता है। संक्रमण के बाद एंटीबॉडी बनने में कई बार एक हफ्ते तक का वक्त लग सकता है। इसलिए अगर इससे पहले एंटीबॉडी टेस्ट किए जाएं तो सही जानकारी नहीं मिल पाती है। ऐसी स्थिति में कई बार आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया जाता है।

प्लाज्मा दान कर बचा सकते हैं किसी की जान

राज्य में गुरुवार तक 58 हजार 117 रोगी कोरोना की चपेट मेें आ चुके थे। इनमें से 35, 803 लोग कोरोना से जंग जीत चुके हैं। वहीं, 1,298 की ङ्क्षजदगी को बीमारी ने असमय लील लिया है। अभी 21,003 एक्टिव केस हैं, जिनका इलाज चल रहा है। डॉ. तूलिका के मुताबिक, फिलहाल पूरा विषय रहस्य बना हुआ है। हमारे देश में कोरोना के खिलाफ बनी एंटीबॉडी दो महीने में खत्म होने के संकेत मिल रहे हैं। लिहाजा, लोग ठीक होने के 14 दिन बाद तय समय में प्लाज्मा दान कर किसी की ङ्क्षजदगी बचा सकते हैं।

प्लाज्मा थेरेपी इलाज का विकल्प

कोरोना का मुकम्मल इलाज दुनिया में कहीं नहीं है। तमाम दवाओं के कॉम्बिनेशन और बेहतर इम्यूनिटी के जरिये ही वायरस से जंग जारी है। इस बीच प्लाज्मा थेरेपी भी कारगर साबित हुई है। इसमें कोरोना से ठीक हो चुके शख्स का प्लाज्मा दूसरे मरीज को चढ़ाया जाता है। यह प्लाज्मा कारगर है भी या नहीं, यही जांचने के लिए दानकर्ता का एंटीबॉडी टेस्ट होता है।    

एक वर्ष तक संग्रह रहता है प्लाज्मा

प्लाज्मा को माइनस 40 डिग्री सेंटीग्रेट पर संग्रह किया जाता है। केजीएमयू में अभी एक डीप फ्रीजर है, जिसमें 30 यूनिट प्लाज्मा संग्रह किया जा सकता है। वहीं, दो डीप फ्रीजर का ऑर्डर और भेजा जा चुका है, जिनमें 400-400 यूनिट प्लाज्मा एक वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकेगा।

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