कांग्रेस ने फुलपुर से मनीष मिश्रा और गोरखपुर से सुरहिता को मैदान में उतारा

कांग्रेस ने लोकसभा उप चुनाव के उम्मीदवार घोषित कर फुलपुर से मनीष मिश्रा और गोरखपुर से सुरहिता करीम को मैदान में उतारा है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Fri, 16 Feb 2018 10:09 PM (IST) Updated:Sat, 17 Feb 2018 09:00 AM (IST)
कांग्रेस ने फुलपुर से मनीष मिश्रा और गोरखपुर से सुरहिता को मैदान में उतारा
कांग्रेस ने फुलपुर से मनीष मिश्रा और गोरखपुर से सुरहिता को मैदान में उतारा

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में फूलपुर और गोरखपुर के उपचुनाव को लोकसभा चुनाव से पहले जनता की नब्ज टटोलने का जरिया माना जा रहा है। राजनीति पार्टियां इसे रिहर्सल के तौर पर देख रही हैं। उप चुनाव का मैसेज पूरे देश में जाएगा ऐसे में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही शह-मात के खेल में जुटे हैं। कांग्रेस ने लोकसभा उप चुनाव के उम्मीदवार घोषित कर फुलपुर से मनीष मिश्रा और गोरखपुर से सुरहिता करीम को मैदान में उतारा है। यूपी की राजनीति में अहम किरदार निभाने वाली बहुजन समाज पार्टी के फैसले पर सब की निगाहें टिकी हैं। बसपा में मंथन का दौर जारी है। हालांकि अंदरखाने में बसपा ने अपने पत्ते तय कर लिए हैं। जोर आजमाइश के चुनाव में बसपा दूर से नजारा देखने की तैयारी में है। मतलब फूलपुर उपचुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी।

कांग्रेस ही भाजपा को हरा सकती:  राजबब्बर

प्रदेश महासचिव मनीष मिश्रा युवक कांग्रेस में सक्रिय रहे हैं और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के सचिव रहे जीएन मिश्रा के पुत्र हैं। कांग्रेस द्वारा उम्मीदवार घोषित करने से उपचुनाव में विपक्ष के साझा प्रत्याशी को उतारने की उम्मीद खत्म हो गयी। प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि गठबंधन अथवा साझा उम्मीदवार को उतराने के लिए सपा को फैसला लेना होगा। उन्होंने दावा किया कि केवल कांग्रेस ही भाजपा को हरा सकती है। उन्होंने पूरी मजबूती से चुनाव लडऩे का दावा करते हुए कहा कि जल्द की प्रभारी बनाकर प्रचार अभियान शुरू किया जाएगा।

भाजपा-सपा ने अभी प्रत्याशी नहीं उतारे

फूलपुर उप चुनाव के लिए नामाकंन फार्म भरे जा रहे हैं। हालांकि अब तक भाजपा और सपा ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। सभी राजनीतिक दल एक दूसरे के प्रत्याशी के नाम का इंतजार कर रहे हैं। बसपा भी यह कहकर ठहरी हुई है कि भाजपा प्रत्याशी की घोषणा के बाद वह अपने पत्ते खोलेगी लेकिन, वरिष्ठ नेताओं की मानें तो पार्टी ने प्रत्याशी न उतारने का फैसला कर लिया है। कदम फूंक-फूंक कर इसलिए रखा जा रहा है कि इसे वाकओवर की तरह देखकर बसपा को बदनाम न किया जा सके। हालांकि बसपा से तमाम दावेदारों ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती से संपर्क साध टिकट की मांग की है लेकिन, फूलपुर से दूरी बनाकर पार्टी नए समीकरण साधने की तैयारी में है। ऐसा ही गोरखपुर उपचुनाव को लेकर भी है। वहां भी पार्टी न लडऩे का फैसला लेने की तैयारी में है।

बसपा का मकसद मतों का बिखराव रोकना 

बसपा का एक मकसद लोकसभा से पहले पार्टी की समीक्षा होने से बचाना और दूसरा मतों का बिखराव रोकना है। इसके लिए एकजुट विपक्ष और गठबंधन की राजनीति को बल मिलेगा, जिसके जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोका जा सके। वैसे भी फूलपुर संसदीय सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है। यहां से प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू समेत दिग्गजों ने चुनाव लड़ा था। ऐसे में बसपा दूर से लड़ाई देखने की तैयारी में है। इसका तर्क बसपा के वरिष्ठ नेता ऐसे दे रहे हैं कि पार्टी ने कई बार उपचुनाव में हिस्सा नहीं लिया। ऐसा होने पर ऐसा पहली बार नहीं होगा।

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