मुख्यमंत्री ने कारागार में सुधार और सुरक्षा के लिए गठित की कमेटी

बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या की घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कारागारों में सुधार के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Tue, 10 Jul 2018 11:32 PM (IST) Updated:Thu, 12 Jul 2018 09:12 AM (IST)
मुख्यमंत्री ने कारागार में सुधार और सुरक्षा के लिए गठित की कमेटी
मुख्यमंत्री ने कारागार में सुधार और सुरक्षा के लिए गठित की कमेटी

लखनऊ (जेएनएन)। बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या की घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कारागारों में सुधार के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। कमेटी प्रदेश की जेलों में सुधार व सुरक्षा को लेकर दो माह में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। 

मुख्यमंत्री पर निर्देश पर गठित कमेटी का अध्यक्ष पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह को बनाया गया है। इसके अलावा कमेटी में पूर्व अपर महानिदेशक कारागार हरि शंकर सदस्य व अपर महानिरीक्षक कारागार डॉ.शरद सदस्य/सचिव होंगे। दरअसल, प्रदेश की जेलों में क्षमता से करीब दो तिहाई बंदी निरुद्ध हैं और कारागार में सुरक्षाकर्मियों की संख्या नियत से काफी कम है। बताया गया कि प्रदेश की 71 जेलों में करीब एक लाख बंदी निरुद्ध हैं। इनमें कई आतंकवादी, माफिया, इनामी बदमाश सहित अन्य शातिर अपराधी भी बंद हैं। जेलों में खासकर हेड वार्डर व वार्डर की काफी कमी है, जबकि जेल के भीतर बंदियों की चेकिंग से लेकर अन्य सुरक्षा-व्यवस्था का जिम्मा इनका होता है। इसके अलावा जेलर व डिप्टी जेलर भी काफी कम हैं। 

डासना जेल में सबसे अधिक बंदी

डासना जेल में सबसे अधिक करीब चार हजार बंदी हैं। इसके अलावा लखनऊ, नैनी, वाराणसी जेलों में तीन हजार से अधिक बंदी हैं। ऐसे ही अन्य जेलों में भी क्षमता से अधिक बंदी हैं। बागपत जेल में करीब 800 बंदी निरुद्ध हैं।

मुन्ना बजरंगी की हत्या सुनियोजित होने के संकेत 

बागपत जेल में बंद सुनील राठी ने भले ही कुबूल कर लिया है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या उसने ही की है लेकिन इसके पीछे गहरी और सुनियोजित साजिश के संकेत मिलते हैं। मुन्ना बजरंगी के दुश्मनों की एक लंबी फेहरिश्त है, जिसमें अपराधियों के साथ राजनेता और उद्यमी भी हैं। हत्या के बाद के घटनाक्रम गहरी साजिश के संकेत करते हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि राठी के पास हथियार कैसे पहुंचा। बकौल राठी पिस्टल मुन्ना खुद लेकर आया था और उसने उसी से छीनकर मारा। अब इसकी तस्दीक करने के लिए मुन्ना मौजूद नहीं है। राठी के अनुसार कहासुनी के बाद मुन्ना ने उस पर पिस्टल तान दी, जिसे उसने मुन्ना से छीन लिया और उस पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग दीं। यानी घटना में एक एंगिल आत्मरक्षा का भी जुड़ चुका है।

सोशल मीडिया पर वायरल 

यह भी कम आश्चर्यजनक नहीं कि वारदात के महज कुछ घंटों में ही मुन्ना की हत्या के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे। ये फोटो किसने खींचे और वायरल करने के पीछे क्या उद्देश्य था, यह भी जांच का एक बड़ा बिंदु है। आखिर राठी इन फोटो के जरिये किस तक यह संदेश पहुंचाना चाहता था कि मुन्ना की हत्या की जा चुकी है। उसको जेल लाए जाने के पहले कुछ सेकेंडों के वीडियो भी बनाए गए थे। उनमें मुन्ना भयभीत नजर आ रहा है। इसके पीछे क्या उद्देश्य रहा होगा। वारदात के बाद राठी ने आखिर किस उद्देश्य से पिस्टल व कारतूस नाली में फेंके। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर दूसरी मैग्जीन व 22 गोलियां कहां से आईं।

 साक्ष्यों की बिसात योजना के तहत 

जानकारों के अनुसार नाली में पिस्टल फेंके जाने के बाद उस पर राठी की अंगुलियां के निशान मिलने की संभावना कम होगी। यानी कि साक्ष्यों की बिसात योजना के तहत बिछाई गई। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक मुन्ना तन्हाई सेल में जिस विक्की सुनहरा के साथ रुका था, उसने अपने बयान में कहा कि जब वारदात हुई तब वह शौचालय में था। अब तक पुलिस को घटना का प्रत्यक्षदर्शी भी नहीं मिल सका है। बागपत जेल में सीसीटीवी कैमरे न लगे होना, पुलिस की चुनौती को बढ़ाता है।

कराएंगे घटना का री-कंस्ट्रक्शन

सवाल यह है कि आरोपित सुनील राठी ने अब तक पुलिस के सामने जो थ्योरी रखी है, उससे वह कोर्ट के सामने साफ मुकर सकता है। सूत्रों का कहना है कि बागपत में सुनील के कई गुर्गे भी बंद हैं और जेल में उसका खासा दबदबा है। लिहाजा उसके खिलाफ गवाह मिलना भी मुश्किल है। चूंकि राठी न्यायिक अभिरक्षा में है, इसलिए पुलिस के सामने उससे बार-बार पूछताछ करना भी आसान न रहेगा। डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि पुलिस आरोपित के बयान के अलावा सभी बिंदुओं पर गहनता से जांच कर रही है। फोरेंसिक टीमें भी साक्ष्य जुटा रही है। घटना का री-कंस्ट्रक्शन भी करया जाएगा। 

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