14 साल बाद CBI के हत्थे चढ़े लखनऊ के बैंकों से ठगी के 3 आरोपित, महिला समेत 2 मुंबई व 1 पुणे से गिरफ्तार

लखनऊ में दो बैंकों के करीब ढाई करोड़ रुपये हड़पने के मामले में सीबीआइ ने 14 साल बाद तीन आरोपितों को महाराष्ट्र से गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। आरोपित वैभव गुप्ता व उषा गुप्ता को मुंबई से औप आरोपित गौरव सागर गुप्ता को पुणे से गिरफ्तार किया गया।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 08:42 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 09:10 PM (IST)
14 साल बाद CBI के हत्थे चढ़े लखनऊ के बैंकों से ठगी के 3 आरोपित, महिला समेत 2 मुंबई व 1 पुणे से गिरफ्तार
14 साल बाद सीबीआइ ने बैंकों से ठगी के तीन आरोपित को गिरफ्तार किया।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित दो बैंकों के करीब ढाई करोड़ रुपये हड़पने के मामले में सीबीआइ ने 14 साल बाद तीन आरोपितों को महाराष्ट्र से गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। इनमें आरोपित वैभव गुप्ता व उषा गुप्ता को मुंबई से तथा आरोपित गौरव सागर गुप्ता को पुणे से गिरफ्तार किया गया। सीबीआइ ने तीनों आरोपितों को लखनऊ स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में पेश किया। कोर्ट ने तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।

सीबीआइ ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये यूनियन बैंक आफ इंडिया की सचिवालय शाखा से 2.1 करोड़ रुपये व सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की नक्खास शाखा से 49.40 लाख रुपये हड़पे जाने के मामले में 13 दिसंबर 2007 को बैंक अधिकारियों समेत 15 आरोपितों के विरुद्ध धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। कोर्ट ने तीनों आरोपितों को भगोड़ा घोषित किया था। सीबीआइ ने गौरव सागर गुप्ता व अन्य के विरुद्ध 28 दिसंबर 2007 को पंजाब नेशनल बैंक की चारबाग शाखा में फर्जी दस्तावेजों के जरिए 12.80 लाख रुपये का हाउस लोन लेकर रकम हड़पने के मामले में भी केस दर्ज किया था। सीबीआइ पूर्व में कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।

सीबीआइ प्रवक्ता के अनुसार गिरफ्तार तीनों आरोपितों ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों के सहारे होम लोन व कैश क्रेडिट लिमिट हासिल की थी और बैंक की रकम हड़प ली थी। यूनियन बैंक आफ इंडिया को 2.01 करोड़ रुपये व सेंट्रल बैंक आफ इंडिया को 49.40 लाख रुपये का नुकसान हुआ था। यूनियन बैंक आफ इंडिया, सचिवालय शाखा से आठ होम लोन, छह सीसी लिमिट व टर्म लोन स्वीकृत कराए गए थे। सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, नक्खास शाखा से तीन होम लोन लिए गए थे।

अर्द्धनिर्मित फ्लैटों की खरीद के लिये गए लोन की रकम को दूसरी जगह निवेश किया गया था, जबकि बैंकों में फर्जी दस्तावेज लगाकर फ्लैटों की खरीद-फरोख्त दिखाई गई थी। प्रकरण में सीबीआइ ने 30 अप्रैल 2010 को लखनऊ स्थित कोर्ट में यूनियन बैंक आफ इंडिया व सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के तत्कालीन अधिकारियों व निजी व्यक्तियों समेत कुल 15 आरोपियों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किये थे। इनमें वैभव गुप्ता, उषा गुप्ता व गौरव आरोपपत्र दाखिल होने के बाद से फरार थे। कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था और उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किये थे।

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