पिछड़ों का बड़ा सम्मेलन और जातिवार बैठकों से बड़ा दांव लगाएगी भाजपा

पिछड़े नेताओं को आगे कर भाजपा संभावित महागठबंधन का प्रभाव कम करने का व्यूह तैयार कर रही है। संकेत है कि भाजपा पिछड़ों पर बड़ा दांव लगाएगी।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Wed, 25 Jul 2018 08:26 PM (IST) Updated:Fri, 27 Jul 2018 07:19 AM (IST)
पिछड़ों का बड़ा सम्मेलन और जातिवार बैठकों से बड़ा दांव लगाएगी भाजपा
पिछड़ों का बड़ा सम्मेलन और जातिवार बैठकों से बड़ा दांव लगाएगी भाजपा

लखनऊ (जेएनएन)। भाजपा आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर जातीय समीकरण दुरुस्त करने पर जोर दे रही है। बूथवार बनाई जा रही समितियों में सभी वर्ग के प्रतिनिधित्व के साथ पिछड़ों को विशेष तरजीह मिल रही है। पिछड़े नेताओं को आगे करके भाजपा संभावित महागठबंधन का प्रभाव कम करने का चक्रव्यूह तैयार कर रही है। यह संकेत साफ है कि भाजपा पिछड़ों पर बड़ा दांव लगाएगी।

भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक 11 और 12 अगस्त को मेरठ में होगी और इस बैठक में मिशन 2019 के अभियान की रूपरेखा तय होगी। इस बैठक के बाद भाजपा पिछड़ों का बड़ा सम्मेलन करेगी। फिर जातिवार पिछड़ों की बैठक होगी। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और प्रदेश महामंत्री सुनील बंसल लगातार संगठन की समीक्षा कर रहे हैं। बंसल ने क्षेत्रवार बैठकों में भी बूथ समितियों से लेकर क्षेत्र स्तर तक नए नेतृत्व उभारने की पहल शुरू कर दी है। दरअसल, भाजपा 2014 और 2017 के फार्मूले पर ही पिछड़ों को आगे करने जा रही है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछड़ों के सबसे बड़े कार्ड थे और 2017 के चुनाव से पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर चुनावी अभियान शुरू किया। केशव मौर्य की अगुवाई में निकली परिवर्तन यात्राओं ने सपा सरकार के खिलाफ माहौल बनाया। दोनों चुनावों में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला। भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य को उप मुख्यमंत्री बनाकर पिछड़ों को तोहफा दिया। योगी सरकार में पिछड़ी जाति के कई विधायकों को कैबिनेट और स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाकर तरजीह दी गई। इधर सहकारी संस्थाओं से लेकर विभिन्न संस्थाओं में पिछड़ों को नामित किया जा रहा है।

जिस जाति के सांसद का कटेगा टिकट, उसी जाति का होगा उम्मीदवार

भाजपा कसौटी पर खरा न उतरने वाले दो दर्जन से ज्यादा सांसदों का टिकट काटने का मन बना चुकी है। कई सांसद चिह्नित हैं और उनमें पिछड़ी जाति के भी हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा जिस जाति के सांसद का टिकट काटेगी, उसी जाति का उम्मीदवार बनाएगी। उदाहरण के तौर पर अगर किसी निषाद का टिकट कटा तो उसकी जगह निषाद, बिंद या मल्लाह को ही टिकट मिलेगा। इसी तरह किसी राजभर का टिकट कटा तो राजभर समाज से ही उम्मीदवार बनेगा। दलितों और सवर्ण सांसदों के टिकट कटने में भी यही फार्मूला लागू होना है। 

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