मुलायम का 79 वां जन्म दिन धर्मनिरपेक्षता दिवस के रूप में मनाएगी शिवपाल की पार्टी

उत्तर प्रदेश में सपा के राजनीतिक क्षितिज पर आते ही सपा मुखिया के लिए धरतीपुत्र मुलायम सिंह, जिसका जलवा कायम है-उसका नाम मुलायम है जैसे नार दिए गए।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 08:04 PM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 10:00 PM (IST)
मुलायम का 79 वां जन्म दिन धर्मनिरपेक्षता दिवस के रूप में मनाएगी शिवपाल की पार्टी
मुलायम का 79 वां जन्म दिन धर्मनिरपेक्षता दिवस के रूप में मनाएगी शिवपाल की पार्टी

जेएनएन, लखनऊ। समाजवादी नेता मुलायम सिंह का जन्म दिन 22 नवंबर को है। समाजवादी पार्टी अपने नेता का 79 वां जन्म दिन को भव्यता में मना रही है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) इसे धर्मनिरपेक्षता दिवस के रूप में मनाने को तैयार हो चुकी है। दोनों दलों के नेताओं का बड़ा जमावड़ा इटावा जिले के सैफई में होगा। एक दल को उनके पुत्र सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव नेतृत्व दे रहे है तो दूसरे की कमान उनके भाई प्रसपा नेता शिवपाल सिंह यादव के हाथ है।

मुफ्त सिंचाई, पढ़ाई और दवाई के समर्थक 

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक क्षितिज पर सपा मुखिया के लिए धरतीपुत्र मुलायम सिंह, जिसका जलवा कायम है-उसका नाम मुलायम है जैसे नार दिए गए। सांप्रदायिक सद्भाव की मिशाल कायम करने के मौलाना मुलायम सिंह या मुल्ला मुलायम सिंह और नेताजी जैसे उपनामों से नवाजा गया। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सत्ता से बाहर या भीतर यह जलवा उनके सक्रिय राजनीति में कभी कम नहीं हुआ। सिंचाई, पढ़ाई और दवाई मुफ्त के समर्थक मुलायम सिंह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। नेताजी के जन्मदिन पर सैफई में बड़े दंगल का आयोजन होता है, जिसमें नेताजी मुलायम सिंह यादव पहुंचते हैं।

शिवपाल-अखिलेश और विरासत

प्रगतिशील समाजवादी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव इस मौके पर उनका आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव भी वहां होंगे। मुलायम सिंह का जन्म इटावा के सैफई गांव में एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 में हुआ था। पिता सुधर सिंह यादव मुलायम को पहलवान बनाना चाहते थे लेकिन यही शौक उन्हें राजनीति की ओर ले गया। वह 1967 में सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़कर जीते। 1977 में उन्हें जनता सरकार में मंत्री बनाया गया। 1980 में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे। पांच दिसंबर 1989 में वह पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए। 1992 में समाजवादी पार्टी बनाई और बसपा से गठजोड़ किया। गठजोड़ तो नहीं चला लेकिन सपा-बसपा के गठजोड़ ने प्रदेश में कांग्रेस की राजनीतिक पकड़ कमजोर कर दी। वह 1996 में मैनपुरी से सांसद चुने गए और संयुक्त मोर्चा सरकार में रक्षामंत्री भी रहे। प्रदेश में आती जाती सत्ता 2007 में सपा की सत्ता में वापसी पर अपने बेटे अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाकर अपनी राजनीतिक विरासत सौंपी। 

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