बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार हाजी महबूब की हालत बिगड़ी

बाबरी मस्जिद के पैरोकार की हालत खराब, फैजाबाद से लखनउ के एक निजी अस्‍पताल में भर्ती किया गया है। उनके दिल में तेज दर्द उठा था।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 03:05 PM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 09:46 PM (IST)
बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार हाजी महबूब की हालत बिगड़ी
बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार हाजी महबूब की हालत बिगड़ी

लखनऊ, जेएनएन। बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब को चिकित्सकों ने आराम की सलाह दी है। उनका इलाज लखनऊ के एक निजी चिकित्सालय में चल रहा है। बुधवार को हाजी की छाती में उस समय दर्द उठा, जब सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर प्रशासनिक अधिकारी पुलिस बल के साथ उनकी बहू आमना मुजफ्फर को उनके टेढ़ीबाजार स्थित घर में आश्रय दिलाने पहुंचे थे। इसी बीच हाजी ने प्रशासन पर उत्पीडऩ का आरोप लगाते हुए छाती में दर्द की भी शिकायत की थी। पहले उन्हें स्थानीय चिकित्सकों को दिखाया गया। इसके बाद उन्हें लखनऊ ले जाने की सलाह दी गई। हाजी करीब 70 वर्ष के हैं।

हाजी के परिवार से उनकी बहू का टकराव छह वर्ष पुराना है। आरोप है कि 2012 में हाजी और उनके परिवार के लोगों ने बहू आमना को मार-पीट कर घर से निकाल दिया। इसके बाद सुलह -समझौते की कोशिश हुई पर वह कामयाब नहीं हो सकी और हाजी के परिवार सहित उनके बेटे वकार ने आमना को किसी भी सूरत में अपनाने से इन्कार कर दिया। अंतत: 2012 में ही आमना ने महिला थाना में दहेज उत्पीडऩ, घरेलू ङ्क्षहसा, मार-पीट, धमकी आदि की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया। मजिस्ट्रेट ने इस मामले में आमना को प्रतिमाह 10 हजार रुपया गुजारा देने, हाजी के टेढ़ीबाजार स्थित आवास में आमना के लिए आवासीय कक्ष देने और रसोई से भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश दिया। इसके जवाब में हाजी एवं वकार आदि ने सेशन कोर्ट में अपील की। इस अपील पर सेशन कोर्ट ने कहा, मजिस्ट्रेट के यहां से आमना के हक में जो आदेश हुआ है, वह न्यायसंगत है। यहां से राहत न पाकर हाजी पक्ष ने हाईकोर्ट में रिवीजन फाइल किया। इस पर हाई कोर्ट ने फाइल रिमांड का आदेश दिया। इससे असहमत आमना सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को आदेश दिया कि मामले की नए सिरे से सुनवाई कर निर्णय किया जाय और हाईकोर्ट ने 2013-14 के मजिस्ट्रेट एवं सेशनकोर्ट के आर्डर की ही पुष्टि की। इस आदेश के खिलाफ हाजी के पक्ष ने सुप्रीमकोर्ट में एसएलपी दाखिल की। इसी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने हाजी पक्ष को आदेश दिया कि पहले आमना के लिए निर्धारित गुजारे की राशि अदा की जाय।

हाजी ने इस आदेश पर आमना के नाम नौ लाख रुपए का ड्राफ्ट बैंक में जमा भी कराया पर मामला आमना को हाजी के आवास में आश्रय और भोजन उपलब्ध कराने पर अटक गया। सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित कराने के लिए हाईकोर्ट को आदेश दिया और हाईकोर्ट के ही निर्देश पर इस वर्ष की शुरुआत से ही आमना निर्धारित तारीख पर हाजी के घर अपना हक मांगने पहुंचती हैं। पिछली तारीख पर हाजी नदारद मिले और इस तारीख पर यानी बुधवार को हाजी की छाती में दर्द की शिकायत के चलते कोर्ट के आदेश का पालन कराने आमना के साथ गई पुलिस एवं प्रशासनिक टीम को बैरंग वापस लौटना पड़ा। यह जानना दिलचस्प होगा कि 17 सितंबर को अगली तारीख के दिन यह मामला किस करवट बैठेगा। आमना के वकील निजामुद्दीन के अनुसार आमना के हक में देश की सर्वोच्च अदालत निर्णय दे चुकी है और तमाम बहाने के बावजूद इसका क्रियांवयन होगा ही।

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