Ayodhya Case: ढांचा ध्वंस मामले में बयान देने पहुंचे पवन कुमार पांडेय बोले, मामला राजनीति से प्रेरित

Ayodhya Case अयोध्या के विवादित ढांचा ध्वंस मामले में विशेष अदालत के समक्ष बयान दर्ज कराने पवन कुमार पांडेय पहुंचे।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Fri, 10 Jul 2020 02:04 PM (IST) Updated:Fri, 10 Jul 2020 02:04 PM (IST)
Ayodhya Case: ढांचा ध्वंस मामले में बयान देने पहुंचे पवन कुमार पांडेय बोले, मामला राजनीति से प्रेरित
Ayodhya Case: ढांचा ध्वंस मामले में बयान देने पहुंचे पवन कुमार पांडेय बोले, मामला राजनीति से प्रेरित

 लखनऊ, जेएनएन। Ayodhya Case:  अयोध्या के विवादित ढांचा प्रकरण में शुक्रवार को आरोपी पवन पांडेय के बयान दर्ज हुए। पांडेय ने सीबीआइ की विशेष अदालत में बयान दर्ज कराते हुए कहा कि पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है। वहीं मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने आरोपी सुरेंद्र दुबे का बयान दर्ज कराने के लिए 13 जुलाई की तिथि नियत की है।

अदालत में बयान दर्ज किए जाने के समय पवन कुमार पांडेय अपने अधिवक्ता मनीष कुमार त्रिपाठी के साथ उपस्थित थे। उन्होंने सीबीआइ के आरोपों को नकारते हुए कहा कि पूरी विवेचना तत्कालीन सरकार के दबाव में हुई है। अदालत में उन्होंने अपने को निर्दोष बताया तथा अपना पक्ष प्रस्तुत किए जाने की बात कही। अदालती कार्यवाही के दौरान सीबीआइ के विशेष अधिवक्ता ललित कुमार ङ्क्षसह, पूर्णेन्दु चक्रवर्ती और आरके यादव उपस्थित थे।

सीबीआइ के अनुसार अभी मामले में आठ आरोपियों के बयान दर्ज किया जाना शेष है। अदालत में आगामी तेरह जुलाई को संतोष दुबे का बयान दर्ज किए जाने के साथ साथ फरार चल रहे ओम प्रकाश पाण्डेय के बात सीबीआई को रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राम चंद्र खत्री, सुधीर कक्कड़ के अलावा वृद्ध व बीमार आरोपियों का बयान वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग के माध्यम से होना है। 

विशेष अदालत ने स्पष्ट आदेश दिया है। शेष सभी आठ आरोपियों के बयान दर्ज किए जाने की कार्यकारी शीघ्र पूरी की जाए। तत्पश्चात बचाव साक्ष्य एवं बहस की प्रकिया संपन्न हो। विशेष अदालत को 31 अगस्त तक मुकदमे में फैसला सुनना है। 

यह है मामला

अयोध्‍या ढांचा ध्‍वंस मामले में 6 द‍िसंबर को थाना राम जन्‍मभूम‍ि में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। इस मामले में सीबीआइ ने जांच करते हुए 49 आरोप‍ितों के ख‍िलाफ व‍िशेष अदालत में आरोप पत्र दाख‍िल क‍िया था। वहीं, आरोप‍ितों में से 17 की मौत हो चुकी है।

इनकी हो चुकी है मौत

अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, वैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, तत्कालीन एसएसपी डीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, महत्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास एवं विनोद कुमार बंसल की मृत्यु हो चुकी है। उच्च न्यायालय के निर्देश पर विशेष अदालत में प्रतिदिन सुनवाई की जा रही है। आगामी 31 अगस्त को निर्णय सुनाया जाना है। 

अयोध्‍या विवादित ढांचा प्रकरण एक नजर में  1528: अयोध्या में एक ऐसे स्थल पर मस्जिद का निर्माण किया गया था, जो भगवान राम का जन्मस्थान था। मुगल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी। इसलिए, बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। 1853: हिंदुओं का आरोप है कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। इस मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई। 1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुवरदास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे राममंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की। 23 दिसंबर 1949: करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया। 17 दिसंबर 1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया। 18 दिसंबर 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित स्थल के मालिकाना हक के लिए मुकदमा। 1984: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने विवादित स्थल का ताला खोलने और एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। एक समिति का गठन किया गया। 01 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताला दोबारा खोला गया। नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया। 01 जुलाई 1989: भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवां मुकदमा दाखिल किया गया। 09 नवंबर 1989: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने विवादित स्थल के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी। 06 दिसंबर 1992: हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचा ढहा दिया, जिसके बाद देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थायी राममंदिर बनाया गया। प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया। 2002 अप्रैल: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की। 2005 जुलाई: आतंकवादियों ने विस्फोटक से भरी एक जीप का इस्तेमाल करते हुए विवादित स्थल पर हमला किया। सुरक्षा बलों ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया। 28 सितंबर 2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी। 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। जुलाई 2016: बाबरी मामले के सबसे उम्रदराज वादी हाशिम अंसारी का निधन। 21 मार्च 2017: रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि अगर दोनों पक्ष राजी हों तो वह कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं। 19 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।

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