खाने में न करें कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल, सेहत के लिए है घातक

एफएसडीए की कार्यशाला में विशेषज्ञों ने खाद्य पदार्थो पर सुझाए महत्वपूर्ण उपाय। खाने में सिंथेटिक कलर के बजाय सब्जियों का कलर इस्तेमाल करने की दी जानकारी।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 08:42 AM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 01:07 PM (IST)
खाने में न करें कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल, सेहत के लिए है घातक
खाने में न करें कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल, सेहत के लिए है घातक

लखनऊ, जेएनएन। खाने को खासकर सब्जियों को आकर्षक बनाने में रंगों का बेतरतीब इस्तेमाल हो रहा है, जो शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। खाना पौष्टिक और सेहतमंद हो, इसके लिए उसमें सिंथेटिक कलर के बजाय सब्जियों का कलर इस्तेमाल किया जा सकता है।

खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता और शुद्धता कैसे बरकरार रखें, इस पर किराना भवन में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) की ओर से वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में लखनऊ विश्वविद्यालय के फूड टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर आईएस सिंह ने बताया कि खाने में सिंथेटिक कलर का इस्तेमाल होने लगा है, जो बेहद घातक है। खाने के रंग के अलावा तमाम नेचुरल कलर हैं, जिनका इस्तेमाल हो सकता है।

पालक से हरा रंग, चुकंदर से लाल रंग और गाजर से बैगनी रंग तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा कई फल और सब्जियां हैं, जिनसे विभिन्न तरह के नेचुरल रंग तैयार किए जा सकते हैं। इनसे बना खाना स्वादिष्ट और सेहत के लिए फायदेमंद होगा। एसजीपीजीआइ के नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रो. अनीता सक्सेना ने खाद्य पदार्थो में मिलावट से शरीर पर होने वाले असर के बारे में चेताया। अनीता ने बताया कि जिनको हम छोटी-मोटी मिलावट समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, वह कई बड़ी बीमारियों का कारण बनती है। तेल और घी में आर्जीमोन आदि का शरीर के तमाम अंगों पर असर पड़ता है। सिंथेटिक कलर का इस्तेमाल लीवर को डैमेज कर देता है।

दूध से तेल तक हर चीज में मिलावट

दुग्ध उत्पादों से लेकर खाद्य तेलों और मसालों तक में जमकर मिलावट हो रही है। पिछले दिनों मड़ियांव में मसाला फैक्ट्री में तमाम खामियां मिली थीं। इससे पहले मोहान रोड पर खाद्य तेल कारोबारी के यहां गड़बड़ी मिली थी। दूध, पनीर और खोवे के नमूने आए दिन फेल हो रहे हैं। वहीं, सब्जियों और फलों को भी बाजार के अनुरूप तैयार करने में केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है। फलों को चमकाने में वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है, वहीं केले में भी केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है।

मंडियों से लिए जाएंगे नमूने

एफएसडीए के अभिहीत अधिकारी टीआर रावत ने बताया कि मंडियों से अगले एक महीने तक नमूने लिए जाएंगे। इसकी रिपोर्ट व्यापारियों को दी जाएगी ताकि पता चल सके कि किस तरह की मिलावट हो रही है। नमूना सर्वेक्षण में किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी।

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