इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला : माता-पिता ही नहीं संतान की अपील सुनने का भी अधिकार डीएम को

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा क‍ि माता पिता और वरिष्‍ठ नागरिक को जिलाधिकारी के सामने धारा 16 के तहत अपील दाखिल करने का अधिकार है। इसी धारा 16 के तहत संतान और अन्‍य क‍िसी को भी अपील दायर करने का अधिकार है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 20 May 2022 11:56 PM (IST) Updated:Fri, 20 May 2022 11:56 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला : माता-पिता ही नहीं संतान की अपील सुनने का भी अधिकार डीएम को
कोर्ट ने की वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम की धारा 16 की व्याख्या

लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत एसडीएम द्वारा अधिनियम की धारा-5 के तहत पारित आदेश के खिलाफ न केवल माता पिता और वरिष्‍ठ नागरिक को जिलाधिकारी के सामने धारा 16 के तहत अपील दाखिल करने का अधिकार है अपितु उस आदेश से संतानों व अन्य किसी प्रभावित पक्ष को उसी धारा 16 के तहत उस धारा के तहत अपील दायर करने का अधिकार है।

यह कहते हुए पीठ ने जिलाधिकारी लखनऊ द्वारा इस आधार पर पारित आदेश कि वह संतानों व रिश्तेदारों की अपील को नहीं सुन सकते हैं, को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ताओं को वापस जिलाधिकारी के समक्ष अपील दाखिल करने की अनुमति दी, साथ ही कोर्ट ने अपील पर जिलाधिकारी को चार माह के भीतर निर्णय का आदेश दिया है।

यह आदेश जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह की एकल पीठ ने रूपम उर्फ ज्योति शर्मा और उसके पति की ओर से दाखिल रिट याचिका पर पारित किया। कोर्ट ने अधिनियम के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अधिनियम की धारा 16 में अपील के अधिकार का जिक्र करते हुए यह अधिकार संतानों व अन्य प्रभावित पक्ष को देने की बात शामिल करना छूट गया है और यह केवल आकस्मिक चूक कही जा सकती है।

पीठ ने कहा कि ऐसे में उसे किसी कानून की उद्देश्यपूर्ण व्याख्या करनी होती है। कोर्ट ने कहा कि किसी विधायन की यह मंशा नहीं हो सकती है कि यदि किसी आदेश से प्रभावित दो पक्ष हैं तो एक को अपील का अधिकार दिया जाए और दूसरे को इससे वंचित रखा जाए।

यह था मामला : दरअसल, याची ज्योति और उसके पति के खिलाफ उसके ससुर ने एसडीएम सदर, लखनऊ की अदालत में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 5 के तहत एक मुकदमा दाखिल किया कि उनके बेटे-बहू उन्हें परेशान करते हैं, जिन्हें उनके घर से याचीगण जो कि उनके बेटा व बहू हैं को बाहर निकाल दिया जाए। इससे पहले बहू ने उनके खिलाफ प्रताडऩा के बाबत प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिस पर बाद में इस बात पर समझौता हो गया था कि वे अपने बेटे-बहू को मकान में रहने देंगे।

एसडीएम ने 6 जून 2019 को ससुर की अर्जी मंजूर करते हुए बेटे व बहू को घर खाली करने का आदेश जारी कर दिया। जिसके खिलाफ बहू रूपम उर्फ ज्योति शर्मा ने डीएम के यहां अपील दाखिल की, जिसे पोषणीयता के अभाव में खारिज कर दिया गया। उक्त आदेश के खिलाफ बहू व बेटे ने हाई कोर्ट पहुंचे।

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