इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइवेट कॉलेज के छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति संबंधी याचिका की खारिज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फीस प्रतिपूर्ति की याचिका पर कहा- प्राइवेट कॉलेज में प्रवेश लेने वाले और क्लैट या चयन परीक्षा के जरिये प्रवेश पाने वाले छात्रों को समान नहीं कहा जा सकता है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 18 Sep 2020 11:21 PM (IST) Updated:Fri, 18 Sep 2020 11:21 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइवेट कॉलेज के छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति संबंधी याचिका की खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइवेट कॉलेज के छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति संबंधी याचिका की खारिज

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने फीस प्रतिपूर्ति संबंधी एक याचिका पर कहा कि प्राइवेट कॉलेज में प्रवेश लेने वाले और क्लैट या चयन परीक्षा के जरिये प्रवेश पाने वाले छात्रों को समान नहीं कहा जा सकता। यह आदेश जस्टिस संगीता चंद्रा की एकल सदस्यीय पीठ ने सिटी लॉ कालेज लखनऊ के छात्र आदित्य तिवारी व अन्य की याचिका खारिज करते हुए किया। कोर्ट ने प्रतिवादियों को पूर्व में दी गई शुल्क प्रतिपूर्ति की रिकवरी के लिए नोटिस जारी करने का भी अधिकार दिया है।

याचियों ने 20 सितंबर, 2014 के शासनादेश के दो नियमों व 14 अप्रैल, 2016 के शासनादेश को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि पूर्व में उन्हें उत्तर प्रदेश सामान्य वर्ग दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिला था, लेकिन बाद में बंद कर दिया गया। याचिका में क्लैट के जरिये प्रवेश पाने छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति का उदाहरण देते हुए भेदभाव की बात कही थी।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि जून 2015 में सिटी लॉ कालेज लखनऊ में दाखिला लेने के कारण याचियों पर नियम 6(1) (ए) लागू होगा, जिसके तहत इंटरमीडिएट में 60 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्रों को ही शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिल सकता है। हालांकि शुरुआत में याचिकाकर्ताओं को गलत तरीके से शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिला, लेकिन गलती को नियम नहीं माना जा सकता। 

वहीं, क्लैट के जरिये प्रवेश पाने वाले छात्रों की तुलना के विषय पर कोर्ट ने कहा कि याची क्लैट अथवा यूनिवर्सिटी की परीक्षा से प्रवेश पाए छात्रों के समान नहीं हैं। इस प्रकार से चुने गए छात्रों को पहले तो सरकारी कॉलेज, फिर डीम्ड यूनिवर्सिटी और एडेड संस्थान आवंटित किये जाते हैं, जबकि प्रवेश परीक्षा में कम मार्क्स पाने वाले और यहां तक कि किसी प्रवेश परीक्षा में भाग न लेने वाले छात्र निजी अथवा गैर सहायता प्राप्त कॉलेज में प्रवेश लेते हैं। कोर्ट ने प्रतिवादियों को याचिकाकर्ताओं को पूर्व में दी गई शुल्क प्रतिपूर्ति की रिकवरी के लिए नोटिस जारी करने का भी अधिकार दिया है।

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