UP: कोरोना से अनाथ व निराश्रित हुए बच्चों की संख्या 3200 से ऊपर, सीएम बाल सेवा योजना का मिलेगा लाभ

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण अनाथ व निराश्रित हुए बच्चों की संख्या 3262 पहुंच गई है। इनमें 385 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता व पिता दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं। 2877 बच्चों ने अपने माता-पिता में से एक को खोया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 01:55 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 01:58 PM (IST)
UP: कोरोना से अनाथ व निराश्रित हुए बच्चों की संख्या 3200 से ऊपर, सीएम बाल सेवा योजना का मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण अनाथ व निराश्रित हुए बच्चों की संख्या 3262 पहुंच गई है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण अनाथ व निराश्रित हुए बच्चों की संख्या 3262 पहुंच गई है। इनमें 385 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता व पिता दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं। 2877 बच्चों ने अपने माता-पिता में से एक को खोया है। ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने तथा उनकी पढ़ाई-लिखाई व संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू की है। इसके तहत महिला कल्याण विभाग अब इनके प्रमाणपत्रों की जांच कर इनके डाटा वेबसाइट पर अपलोड कर रहा है।

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का मूल उद्देश्य महामारी में अनाथ हुए बच्चों की सारी जरूरतें पूरी करना है। सरकार इनके भरण पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की पूरी व्यवस्था करेगी। योजना के तहत 10 साल तक के बच्चों के वैध संरक्षक के खाते में 4000 रुपये प्रति माह ट्रांसफर किए जाएंगे। योजना में 18 साल तक के ऐसे बच्चे शामिल किए जाएंगे, जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोरोना से हो गयी हो। या फिर माता-पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च 2020 से पहले हो गई हो और दूसरे की मृत्यु कोरोना काल में हो गई हो या फिर माता-पिता दोनों की मौत एक मार्च 2020 से पहले हो गई थी और वैध संरक्षक की मृत्यु इस महामारी से हो गई हो।

इसके अलावा शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोरोना काल में हो गई हो और वह परिवार का खर्च चलाने वाला रहा हो। साथ ही वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय दो लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो, को भी योजना में शामिल किया गया है। इस योजना का लाभ देने के लिए ऐसे बच्चों का चयन किया जा रहा है। सरकार ने अफसरों की जवाबदेही तय करते हुए जल्द से जल्द डाटा एकत्र करने के निर्देश दिए हैं, ताकि योजना का लाभ शीघ्र बच्चों को मिल सके। अब तक 3262 बच्चे चिन्हित किए जा चुके हैं।

इन जिलों में मिले सर्वाधिक बच्चे : सहारनपुर में 371, मुजफ्फरनगर में 144, गाजियाबाद में 119, वाराणसी में 116, अलीगढ़ में 107, लखनऊ में 105, गोरखपुर में 107, कानपुर में 107, शामली में 92, गौतमबुद्ध नगर में 84, जौनपुर में 80, प्रयागराज में 76, मेरठ में 75, मऊ में 66, बलिया में 63, मुरादाबाद में 58, अयोध्या में 49, फर्रुखाबाद में 54, कुशीनगर में 45, देवरिया में 57, उन्नाव में 48 और कानपुर देहात में 35 बच्चे मिले हैं।

कोरोना से निराश्रित बुजुर्ग भी होंगे चिन्हित : कोरोना से निराश्रित हुए बच्चों के बाद अब सरकार कोरोना से निराश्रित हुए बुजुर्गों को चिन्हित करने जा रही है। इसकी जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई है। विभाग ने सभी जिलों में अधिकारियों को निराश्रित बुजुर्गों को चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे सभी बुजुर्गों को चिन्हित कर उनके आश्रय का प्रबंध करने के निर्देश जिला समाज कल्याण अधिकारियों को दिए गए हैं। इन्हें समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित वृद्धाश्रमों में रखा जा सकता है। हालांकि कोरोना की वजह से निराश्रित हुए बुजुर्गों को किसी विशेष सुविधा दिए जाने की बात अब तक सरकार ने नहीं कही है। फिर भी यह माना जा रहा है कि बुजुर्गों की संख्या आने के बाद इनके पुनर्वास के लिए सरकार अलग नीति बना सकती है।

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