पौधों से लगाव ने बनाया आम का बड़ा व्यवसायी
आगरा बरेली पीलीभीत तक जाते हैं सत्येंद्र शर्मा की बाग के आम
लखीमपुर : तराई इलाके में 80 वर्षीय सत्येंद्र शर्मा का पौधों के प्रति लगाव देखते ही बनता है। इनकी लगाई बाग को जब नदी ने लील लिया, तब भी सतेंद्र ने हार नहीं मानी। प्रकृति के कहर से बचाकर पौधों को बच्चों की तरह पाला और खूब उनकी सेवा की। अब नतीजा सबके सामने है। आज सतेंद्र 1460 पेड़ों के मालिक बन गए हैं और अब उनके फलों का स्वाद आगरा, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर सहित कई जिलों के लोग चख रहे हैं।
1980 के दशक में सतेंद्र काफी दिक्कतों के बावजूद मलिहाबाद से पौधे लाए थे। पलिया तहसील में शारदा नदी के किनारे लगभग 30 एकड़ भूमि पर एक लाख पेड़ लगाए लेकिन, शारदा ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। कटान से सारे पौधे नदी में समा गए। पौधों के कटने के कारण सतेंद्र को बड़ा सदमा लगा लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बोझवा मटहिया गांव के पास उन्होंने फिर धरती को पौधों से सजाना शुरू किया। 32 एकड़ जमीन पर आम के साथ कई प्रजातियों के पौधे लगाए। शुरुआत में आम के पौधे नहीं पनप सके। इसके बाद वह पौधारोपण की विधि सीखने महाराष्ट्र पहुंचे। वहां सेमिनार में एक वैज्ञानिक से पता चला आम के पौधारोपण का तरीका। फिर क्या था, सतेंद्र ने पौधे लगाना शुरू किया। आज उनकी बाग में 1460 आम के पेड़ फल दे रहे हैं। जिससे प्रतिवर्ष लाखों रुपये की आमदनी हो रही है।
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ये पौधे भी हैं बाग में
आम के अलावा लीची, कटहल, अमरूद, तेजपत्ता, रुद्राक्ष, सिदूर, आंवला, शमी, शीशम, सागौन, सेमल, बांस, जैसे दर्जनों प्रजातियों के पेड़ लगे हैं। जो ईंधन के साथ-साथ फल भी देते हैं।
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पेड़ों के महत्व पर दूरदर्शन ने दिया बोलने का मौका
एक दशक पहले लखनऊ के मलिहाबाद में दूरदर्शन के सेमिनार प्रसारण में पेड़ों के महत्व के बारे में बीस मिनट तक बोलने का मौका भी सत्येंद्र शर्मा को मिला था। उसके बाद फॉर्म फॉरेस्ट्री का तराई इलाके का कानपुर में प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।
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इस सीजन में 10 हजार पौधों का लक्ष्य
जुलाई माह में सत्येंद्र ने दस हजार पौधों को लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें अभी सेमल और सागौन के करीब पांच हजार पौधे आ गए हैं। शीशम के पेड़ अभी छोटे हैं, जिन्हें अक्टूबर में रोपा जाएगा।