कानून के डर से नहीं, हेलमेट-सीट बेल्ट आपकी सुरक्षा के लिए

हाईवे पर अधिकांश लोग हेलमेट का प्रयोग कर रहे हैं। शहर के अंदर नहीं हो रहा सीट बेल्ट का प्रयोग। ज्यादातर ड्राइविग सीट के अलावा दूसरे लोग सीट बेल्ट का बिल्कुल प्रयोग नहीं कर रहे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Jun 2020 11:20 PM (IST) Updated:Tue, 23 Jun 2020 11:20 PM (IST)
कानून के डर से नहीं, हेलमेट-सीट बेल्ट आपकी सुरक्षा के लिए
कानून के डर से नहीं, हेलमेट-सीट बेल्ट आपकी सुरक्षा के लिए

लखीमपुर : जिले में हेलमेट, सीट बेल्ट को लेकर पहले की अपेक्षा लोग काफी जागरूक हुए हैं। कानून का डर ही सही लेकिन, लोगों में जागरूकता आई है, हालांकि पिछली सीट पर बैठने वालों के सिर पर हेलमेट कहीं नहीं दिखाई दे रहा। कार में बैठने वाले लोगों का भी यही हाल है। सीट बेल्ट बांध कर चलने में ड्राइवर के अलावा अन्य लोग कम प्रयोग कर रहे हैं। शहर के अंदर तो बिल्कुल नहीं। वाहनों के संचालन में यह जागरूकता 40 प्रतिशत के आसपास है। वर्ष 2019 में लागू किए गए नए मोटर व्हीकल एक्ट के बाद अत्यधिक चालान से बचने के लिए हेलमेट और सीट बेल्ट का चलन पहले की अपेक्षा बढ़ा है। शहर की सड़कों से लेकर हाईवे तक हेलमेट के प्रति लोगों में जागरूकता आई है। हाईवे पर तो अधिकांश लोग हेलमेट का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन, शहरी क्षेत्रों की सड़कों पर फर्राटा भरते वाहन चालक अभी हेलमेट या तो प्रयोग नहीं कर रहे या फिर गाड़ी पर ही टांग लेते हैं। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन आरके चौबे बताते हैं कि नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पहले दो पहिया वाहन के 200 से ढाई सौ के आसपास चालान हुआ करते थे। जिसमें हेलमेट के 100 के आसपास चालान थे लेकिन, अब इसमें कमी आई है। नए मोटर व्हीलकल एक्ट के बाद दो पहिया वाहन में हेलमेट के पूरे दिन में 60 से 80 के आसपास चालान होते हैं। सीट बेल्ट में अभी जागरूकता की कमी है। सीट बेल्ट के सौ के आसपास चालान हो जाते हैं। ज्यादातर ड्राइविग सीट के अलावा दूसरे लोग सीट बेल्ट का बिल्कुल प्रयोग नहीं कर रहे। अगर हाईवे को छोड़ दें तो शहर के अंदर बिल्कुल सीट बेल्ट का प्रयोग नहीं किया जा रहा है, इसी को लेकर के सख्ती करनी है।

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