दुधवा पार्क में बाढ़ का पानी भरने से वन्यजीवों व वनस्पतियों पर संकट

सागौन की नई पौध के गलने की आशंका। इससे तमाम वनस्पतियों के गलने व सरीसृप वर्ग के वन्यजीवों पर संकट गहरा गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 10:21 PM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 10:21 PM (IST)
दुधवा पार्क में बाढ़ का पानी भरने से वन्यजीवों व वनस्पतियों पर संकट
दुधवा पार्क में बाढ़ का पानी भरने से वन्यजीवों व वनस्पतियों पर संकट

लखीमपुर : सुहेली व नेपाल की मोहाना नदियों में आई बाढ़ से दुधवा टाइगर रिजर्व के करीब 15 फीसद क्षेत्रफल में पानी भर गया है। इससे तमाम वनस्पतियों के गलने व सरीसृप वर्ग के वन्यजीवों पर संकट गहरा गया है।

दुधवा टाइगर रिजर्व के सठियाना रंज समेत दुधवा व सोनारीपुर के निचले इलाकों में इस समय कई फिट तक पानी भर गया है। इस क्षेत्र में पाई जाने वाली तमाम ऐसी वनस्पतियों के वजूद पर संकट पैदा हो गया है जो ज्यादा दिन तक पानी में रहने से गल जाती हैं। इसके अलावा सागौन के वे पौधे भी ज्यादा पानी से प्रभावित हो जाएंगे जो नए और छोटे है। यह पौधे अधिक दिन तक पानी में नहीं रह पाते हैं और गलने लगते हैं। इससे सागौन की नई पौध के खतरा बढ़ गया है। इसके साथ ही जंगल में पानी भरने से सरीसृप वर्ग के वन्यजीवों के लिए भी खतरा बढ़ा है। इसमे सांप आदि जो कुछ हदतक बड़े होते हैं वे तो अपना बचाव कर लेते है और ऊंचे स्थानों पर जाकर या फिर पेड़ पर शरण लेकर जान बचा लेते है लेकिन, तमाम प्रकार के कीड़े, मकोड़े व अतिसूक्ष्म बटरफ्लाई जीव मर जाते हैं। बाढ़ के पानी के साथ आने वाली सिल्ट और भी नुकसानदेह साबित होती है। सिल्ट जमा होने जाने के कारण वनस्पतियां उसके नीचे पनप नही पाती हैं और अंतत: नष्ट हो जाती हैं।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

दुधवा टाइगर रिजर्व के वार्डन एसके अमरेश का कहना है कि नदियों में आई बाढ़ से पार्क के बड़े हिस्से में पानी भर गया है। यह पानी पार्क के जैवविविधता को काफी नुकसान पहुंचाता है। इससे वनस्पतियां व वन्यजीव भी नष्ट हो जाते है, लेकिन यह प्राकृतिक आपदा है इससे बचाव का कोई उपाय भी नहीं है।

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